Wednesday, December 11, 2024
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हरियाणा: देवीलाल, हुड्डा परिवार के सदस्य चुनावी रण में; भजनलाल व बंसीलाल का कुनबा नदारद

दो प्रसिद्ध लालों- पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल और भजनलाल के रिश्तेदार वर्षों से संसदीय चुनावों में मैदान में उतरते रहे थे, लेकिन इस बार उन्हें उनकी संबंधित पार्टियों से टिकट नहीं मिला है। वहीं, दिलचस्प है कि देवीलाल के परिवार के तीन सदस्य हिसार लोकसभा सीट से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : May 13, 2024 22:02 IST, Updated : May 13, 2024 22:02 IST
bansilal bhajanlal- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO बंसीलाल और भजनलाल

हरियाणा के 1966 में पृथक राज्य बनने के बाद से इसकी राजनीति चार प्रतिष्ठित सियासी परिवारों- देवीलाल, भजनलाल, बंसीलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा- के इर्दगिर्द घूमती रही है। पहले हरियाणा के तीन लाल- देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल ने दशकों तक बारी-बारी से राज्य में शासन किया। भाजपा के 2014 में अपने दम पर सत्ता में आने से पहले हुड्डा परिवार के हाथ में राज्य की कमान थी। दो प्रसिद्ध लालों- पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल और भजनलाल के रिश्तेदार वर्षों से संसदीय चुनावों में मैदान में उतरते रहे थे, लेकिन इस बार उन्हें उनकी संबंधित पार्टियों से टिकट नहीं मिला है। हालांकि, ‘ताऊ’ देवीलाल के नाम से मशहूर पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार के चार सदस्य हिसार और कुरूक्षेत्र सीट से चुनावी मैदान में हैं।

एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे देवीलाल परिवार के सदस्य

दिलचस्प है कि देवीलाल के परिवार के तीन सदस्य हिसार लोकसभा सीट से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे है। इनमें देवीलाल के बेटे और हाल में भाजपा में शामिल हुए निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला, जननायक जनता पार्टी (जजपा) प्रमुख एवं देवीलाल के पोते अजय सिंह चौटाला की विधायक पत्नी नैना चौटाला (57) और इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला के चचेरे भाई रवि चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला (47) शामिल हैं। रवि चौटाला देवीलाल के दिवंगत बेटे प्रताप सिंह चौटाला के बेटे हैं। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) नेता अभय सिंह चौटाला कुरुक्षेत्र सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

कांग्रेस ने नहीं दिया बंसीलाल की पोती को टिकट

पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी को भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया है। सत्तारूढ़ भाजपा ने भी हिसार सीट से कुलदीप बिश्नोई या उनके बेटे भव्य बिश्नोई को मैदान में उतारने पर विचार नहीं किया। कुलदीप पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के छोटे बेटे हैं। कांग्रेस ने भिवानी-महेंद्रगढ़ से मौजूदा विधायक राव दान सिंह को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने हिसार से रणजीत सिंह चौटाला को टिकट दिया है। श्रुति चौधरी 2009 में भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद चुनी गईं थी, लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के धर्मबीर सिंह ने उन्हें हरा दिया था। इससे पहले, उनके दिवंगत पिता सुरेंद्र सिंह और दादा बंसीलाल कई बार भिवानी सीट से संसद पहुंचे थे। साल 2009 में भजनलाल अपनी हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) के उम्मीदवार के रूप में हिसार से चुने गए थे। उनके निधन के बाद 2011 के उपचुनाव में उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने यह सीट जीती थी।

वर्ष 2019 में कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई ने कांग्रेस के टिकट पर हिसार सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन असफल रहे। उन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे और नौकरशाही से राजनीति में आए बृजेंद्र ने हराया था जो तब भाजपा के उम्मीदवार थे। अब कुलदीप और भव्या भाजपा में हैं, जबकि बीरेंद्र सिंह और बृजेंद्र सिंह हाल में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा परिवार के गढ़ रोहतक से चुनाव मैदान में हैं। दीपेंद्र राज्यसभा सदस्य हैं। दीपेंद्र रोहतक से तीन बार सांसद रहे हैं और 2019 में वह भाजपा के अरविंद शर्मा से हार गए थे। इस बार भी उनके खिलाफ शर्मा ही हैं।

टिकट ना मिलने पर क्या बोले कुलदीप बिश्नोई?

कुछ दिन पहले जब पत्रकारों ने कुलदीप बिश्नोई से पूछा था कि भाजपा द्वारा उन्हें हिसार से टिकट नहीं देने से उनके समर्थक नाराज हैं तो उन्होंने कहा था, ‘‘कार्यकर्ताओं की भावनाएं होती हैं...यह मानव स्वभाव है कि जब किसी नेता को टिकट नहीं मिलता है तो वे निराश होते हैं लेकिन वह विरोध में नहीं बदलता।” उन्होंने कहा, “मैं सभी कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि अब समय कड़ी मेहनत करने और प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी के हाथों को मजबूत करने का है। हमें केंद्र में फिर से भाजपा सरकार बनानी है।’’

श्रुति चौधरी ने कही ये बात

कांग्रेस द्वारा भिवानी-महेंद्रगढ़ से टिकट न दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्रुति चौधरी ने कहा, ‘‘मुझे 2009 में मौका मिला और मैंने क्षेत्र के लिए ईमानदारी और समर्पण के साथ काम किया। एक विपक्षी सदस्य के रूप में मैंने अपने लोगों के मुद्दों को उठाना जारी रखा... पहले इस निर्वाचन क्षेत्र (भिवानी) की सेवा मेरे दादा और मेरे पिता ने की थी।’’ इस बार टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कहा कि पार्टी का फैसला स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने कार्यकर्ताओं से कहना चाहती हूं कि वे निराश न हों।’’ हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीट पर आम चुनाव के छठे चरण में 25 मई को वोट डाले जाएंगे। (भाषा)

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