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मप्र में 60 फीसदी जनजाति आबादी अभी भी अशिक्षित

भोपाल: मध्य प्रदेश की सरकार भले ही अनुसूचित जनजातीय वर्ग के कल्याण और उत्थान के लिए अनेक योजनाएं चलाने का दावा करे, मगर आकड़ों की हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं। आकड़े बताते हैं

IANS
Published : Sep 02, 2015 06:49 pm IST, Updated : Sep 02, 2015 06:49 pm IST
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मप्र में 60 फीसदी जनजाति आबादी अभी भी अशिक्षित

भोपाल: मध्य प्रदेश की सरकार भले ही अनुसूचित जनजातीय वर्ग के कल्याण और उत्थान के लिए अनेक योजनाएं चलाने का दावा करे, मगर आकड़ों की हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं। आकड़े बताते हैं कि राज्य के जनजातीय वर्ग की लगभग 60 फीसदी आबादी अशिक्षित है।

जनसंख्या 2011 के आकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि राज्य की कुल आबादी सात करोड़ 26 लाख है। इसमें से तीन करोड़ 76 लाख पुरुष और तीन करोड़ 50 लाख से अधिक महिलाएं हैं। साक्षरता पर गौर करें, तो पता चलता है कि इसमें से दो करोड़ 97 लाख अशिक्षित हैं। इसमें पुरुष एक करोड़ 24 लाख और एक करोड़ 73 लाख महिलाएं हैं।

शिक्षा के मामले में सबसे बुरा हाल अनुसूचित जनजाति का है। इस वर्ग की कुल आबादी एक करोड़ 53 लाख है, जिसमें से लगभग 60 फीसदी आबादी अशिक्षित है। इसमें से लगभग 40 लाख पुरुष और 50 लाख महिलाएं अनपढ़ हैं। शिक्षा के मामले में जनजातीय वर्ग से अनुसूचित जाति की स्थिति कहीं बेहतर है। इस वर्ग की कुल आबादी एक करोड़ 13 लाख में से 50 लाख अशिक्षित हैं।

बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ की शिक्षा विशेषज्ञ एफ .ए. जामी ने आईएएनएस से कहा, "अशिक्षा की चुनौती से निपटने के लिए जरूरत इस बात की है कि स्कूलों में सुधार किया जाए, इसके साथ ही जनजातीय वर्ग के बच्चों को एकरूपता वाली शिक्षा दी जाए। इसके अलावा ऐसी तकनीक विकसित की जाए जिससे जवाबदारी तय हो।"

राज्य में आयु वर्ग के आधार पर शिक्षा के आकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि छह वर्ष तक की आयु के एक करोड़ आठ लाख बच्चे हैं, इनमें 56 लाख 36 हजार से ज्यादा बालक और 51 लाख 73 हजार से ज्यादा बालिकाएं हैं। जबकि सात से 14 वर्ष आयु में लगभग साढ़े 15 लाख अशिक्षित हैं। इसमें सात लाख 81 हजार बालिकाएं हैं।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अलिराजपुर में आयोजित समारोह में राज्य सरकार द्वारा जनजातीय वर्ग और अन्य वर्गो के कल्याण केा लिए चलाई जा रही योजनाओं का जिक्र कर राज्य के शिक्षा के स्तर में आ रहे बदलाव का हवाला दिया और कहा कि राज्य के अनुसूचित जनजातीय वर्ग के छात्रों ने आईआईटी की परीक्षा में भी सफलता पाई है।

जनसंख्या के आकड़े तो यही बताते हैं कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए योजनाएं चाहे जितनी चल रही हों, मगर हालात अब भी इस वर्ग की ज्यादा नहीं बदले हैं।

 

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