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सीएम केजरीवाल को एथलीट की खरी-खोटी, कहा-जब जरूरत थी तो फोन तक नहीं उठाया

बुलाया तो गया था एशियन गेम्स में जीते गए खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए लेकिन जब बोलने की बारी आई तो दिव्या का दर्द जुबां पर गुस्से की शक्ल में आ गया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : September 06, 2018 10:04 IST
सीएम केजरीवाल को एथलीट की खरी-खोटी, कहा-जब जरूरत थी तो फोन तक नहीं उठाया- India TV Hindi
सीएम केजरीवाल को एथलीट की खरी-खोटी, कहा-जब जरूरत थी तो फोन तक नहीं उठाया

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक दिन पहले एशियन गेम्स के मेडल विजेता खिलाड़ियों को सम्मानित किया लेकिन इसी दौरान वो एक एथलीट के निशाने पर आ गए। एशियन गेम्स में कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाली महिला पहलवान दिव्या काकरन ने केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्होंने तब उनकी कोई मदद नहीं की, जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। लगभग पूरी दिल्ली कैबिनेट के सामने कांस्य पदक विजेता दिव्या काकरान ने सच का आईना दिखाना शुरू किया तो शर्म के मारे सब सिर झुकाकर बैठ गए।

दिव्या काकरान ने कहा, “कॉमनवेल्थ में मेडल लाई हूं। मैंने आपसे कहा था कि एशियन गेम्स की तैयारी के लिए कुछ चाहिए, लेकिन उनके लिए भी कुछ नहीं हो पाया। मैंने लिख कर दिया, लेकिन उसके बाद मेरा फोन भी नहीं उठाया गया। हम बेशक गरीब हैं लेकिन हमारे मन में करने की इतनी ज्वाला है कि आप नहीं सोच सकते। मैं पानी में भी पहलवानी कर रही हूं। अगर आज आप थोड़ी सपोर्ट करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। मैं आज यहां पर पहुंच गई हूं तो सब सपोर्ट कर रहे हैं लेकिन जिस वक्त मुझे सबसे ज्यादा सपोर्ट की जरुरत थी, उस टाइम किसी ने सपोर्ट नहीं किया।‘’

ये वो सच है जिससे हर कोई कतरा कर निकल जाना चाहता है, लेकिन दिव्या ने निकलने का मौका नहीं दिया। बुलाया तो गया था एशियन गेम्स में जीते गए खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए। हुआ भी वैसा ही। सबको सीएम ने बारी बारी गुलदस्ता देकर सम्मान दिया लेकिन जब बोलने की बारी आई तो दिव्या का दर्द जुबां पर गुस्से की शक्ल में आ गया।

सोचिए दिव्या ने फोन किया, चिट्ठी लिखी लेकिन सरकार तब सो रही थी लेकिन जैसे ही मेडल लेकर दिव्या दिल्ली पहुंची सरकार गले लगाने पहुंच गई। बातचीत का सिलसिला चलता रहा और जब केजरीवाल की बोलने की बारी आई तो वहां भी सियासत सामने आ गई। केजरीवाल ने सारा ठिकरा केंद्र सरकार पर फोड़ दिया।

सवाल सियासत का नहीं है, सवाल खेल का है, पदक का है, सोने का है, कांस्य का है। इस देश में खेल के हर मोर्चे पर सियासत के खिलाड़ियों ने जगह बना ली है इसलिए इसके बाद भी आगे खिलाड़ियों के मनोबल को तोड़ने की कोशिश हुई तो गुस्सा और भड़केगा।

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