Friday, March 29, 2024
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Covid-19: पटाखा व्यापारियों में मायूसी का आलम, न मांग न बिक्री की उम्मीद

कोरोना के कारण दिल्ली के पटाखा व्यापारियों में मायूसी का आलम है। लॉकडाउन और महामारी के कारण पटाखों की फैक्ट्रियां भी बंद रहीं, जिस वजह से इस बार अच्छे व्यापार की उम्मीद कम जताई जा रही है।

IANS Reported by: IANS
Published on: October 13, 2020 6:46 IST
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Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE Covid-19: पटाखा व्यापारियों में मायूसी का आलम, न मांग न बिक्री की उम्मीद

नई दिल्ली: कोरोना के कारण दिल्ली के पटाखा व्यापारियों में मायूसी का आलम है। लॉकडाउन और महामारी के कारण पटाखों की फैक्ट्रियां भी बंद रहीं, जिस वजह से इस बार अच्छे व्यापार की उम्मीद कम जताई जा रही है। साथ ही, प्रदूषण व सामान्य पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध के चलते पटाखा व्यापार पर भी बीते कुछ सालों से ठीक नहीं रहा। दिवाली के अलावा भी शादी जैसे अन्य मौके पर भी लोग पटाखे जलाकर खुशियां मनाते हैं, हालांकि इस बार पटाखों की मांग न के बराबर रही है। दिवाली में अभी करीब महीनाभर है। लेकिन बाजारों में पटाखों की सप्लाई पिछली बार से काफी कम है। पिछले साल ग्रीन पटाखे बेचने वाले दुकानदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

दरअसल, ग्रीन पटाखे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक व राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) व तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) के मानक के अनुरूप हैं। ये पटाखे तमिलनाडु के प्रसिद्ध शिवकाशी से लेकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र व राजस्थान में बन रहे हैं।

जामा मस्जिद के पास करीब 250 साल पुराने पटाखा बाजार है। जहां करीब 9 से 10 पटाखों की दुकाने हैं और यहां कुछ 100 साल पुरानी दुकाने भी हैं। हालांकि यहां पूरे साल पटाखों की दुकानें खुलती हैं वहीं इन सभी दुकानों पर फुलझड़ी, अनार व आसमान में रोशनी करने वाले पटाखे उपलब्ध रहते हैं। हालांकि इस बार ग्रीन पटाखों की नई किस्में बनने लगी हैं और बाजारों में आना शुरू भी हो गईं हैं। ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों के मुकाबले 30 फीसद तक प्रदूषण कम करते हैं। वहीं ये सामान्य पटाखों की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं।

पटाखा व्यापारी अमित जैन ने बताया, "कोविड-19 की वजह से सारी फैक्टरियां बंद पड़ी हुई थीं, जिसकी वजह से बाजारों में जरूरत भर माल नहीं आ सका। वहीं इस साल डिमांड भी कम है, क्योंकि बीते 6 महीनों से लोग खाली बैठे हुए थे, जिसकी वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं रही।" उन्होंने कहा, "इस बार 20 फीसदी डिमांड है और सप्लाई उससे भी ज्यादा कम है। वहीं बीते 5 सालों में पटाखा व्यापार की स्थिति देखते हुए आधे पटाखा व्यापारी काम ही नहीं कर रहे हैं। वे कोई और काम कर रहे हैं।" "अब ज्यादातर लोग सीजन के हिसाब से काम करते हैं, यानी होली के वक्त रंग बेचना, कभी पतंग बेचना, शादियों के वक्त शादियों का काम करना आदि। हालांकि लोगों के पास पटाखों के परमानेंट लाइसेंस है लेकिन ढंग से व्यापार नहीं करते। इस साल कोविड-19 की वजह तो नहीं, लेकिन आगामी साल में कुछ आर्थिक स्थिति ठीक हुई तो उम्मीद कर सकते हैं अच्छे व्यापार की।"

जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस के लाइसेंसिंग विभाग ने भी इस साल पटाखों की बिक्री के लिए आवेदन मंगा लिए हैं। अभी तक कुल 260 व्यापारियों ने अस्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। हालांकि दिल्ली में कुल करीब 200 से 250 पटाखा व्यापारियों के पास परमानेंट लाइसेंस है। दिल्ली फायर वर्क्‍स ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव जैन ने आईएएनएस को बताया, "हर साल ऐसा होता है कि दिवाली आने से कुछ दिन पहले ही पटाखों के पीछे सारी दुनिया पड़ जाती है। क्या पार्लियामेंट द्वारा पास हुआ एक्सप्लोसिव एक्ट को खत्म कर देना चाहिए? क्योंकि साल भर पटाखे का काम होता है। लेकिन दिवाली से 10 दिन पहले पटाखे बैन कर देते हैं, जबकि इस व्यापार में सभी धर्म के लोग जुड़े हुए हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "आप बिल्कुल मना करदो की 2021 की दिवाली नहीं मनेगी, जिससे पूरे साल हम इस व्यापार को नहीं करेंगे, काम बंद कर कर देंगे। पूरा साल दिवाली को लेकर तैयारियां करते हैं और आखिर में पटाखों पर बैन लगा देते हैं। ऐसा करना बिल्कुल गलत है। इसके बाद जो आदमी पूरे साल लीगल काम करता है वो आखिर में इल्लीगल काम करने वाला बन जाता है।" उन्होंने कहा, "2016 से इसी तरह से स्थिति हो रही है कि आखिर में सब आ जाते हैं कि बंद करो पटाखे जलाना। हमारी मांग है कि पटाखों को लेकर फैसला पहले कर दिया करें, बाद में फैसला आने से लाखों लोगों को नुकसान होता है।"

"वर्ष 2018 में पटाखों से प्रदूषण का हवाला देते हुए सप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखा बिक्री और उसे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। अचानक से सब अवैध व्यापारी बन गए। दिल्ली में 200 से 250 व्यापारियों के पास पटाखों के परमानेंट लाइसेंस है। पटाखा व्यापारी पूरे साल कुछ न कुछ अलग काम भी करते हैं। वैसे भी 25 फीसदी ही पटाखा व्यापार रह गया है। दिवाली खुशी का मौका होता है पटाखे जलाकर हर कोई खुशियां मनाता है, त्योहारों की गरिमा भी बनी रहनी चाहिए।"

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ग्रीन पटाखों की उपलब्धता में कमी नहीं रहेगी। इस बार दिल्ली के बाजारों में कम से कम 50 तरह के पटाखे उपलब्ध रहेंगे। पटाखों की बिक्री को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं।

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