Friday, May 03, 2024
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भारत के संचार क्षेत्र की दशा बदल देगा GSAT-19, आज होगा लॉन्च

इसरो के आगामी संचार उपग्रह जीसैट-19 और जीसैट-11 भारत के संचार क्षेत्र की दशा और दिशा बदल सकते हैं और इनके प्रक्षेपण के साथ ही डिजिटल भारत को मजबूती मिलेगी तथा ऐसी इंटरनेट सेवाएं मिलेगी जैसे कि पहले कभी नहीं मिलीं।

India TV News Desk India TV News Desk
Published on: June 05, 2017 8:05 IST
isro- India TV Hindi
Image Source : PTI isro

नयी दिल्ली: इसरो के आगामी संचार उपग्रह जीसैट-19 और जीसैट-11 भारत के संचार क्षेत्र की दशा और दिशा बदल सकते हैं और इनके प्रक्षेपण के साथ ही डिजिटल भारत को मजबूती मिलेगी तथा ऐसी इंटरनेट सेवाएं मिलेगी जैसे कि पहले कभी नहीं मिलीं। इसरो श्रीहरिकोटा में भारत के रॉकेट पोर्ट से इसके प्रक्षेपण की योजना बना रहा है। एक शानदार नया रॉकेट नए वर्ग के संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार है। जीसैट-19 उपग्रह को अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद में बनाया गया है। केंद्र के निदेशक तपन मिश्रा ने इसे भारत के लिए संचार के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी उपग्रह बताया है। (जम्मू-कश्मीर: बांदीपुरा जिले में CRPF कैंप पर हमला, 4 आतंकी ढ़ेर)

अगर यह प्रक्षेपण सफल रहा तो अकेला जीसैट-19 उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित पुराने किस्म के 6-7 संचार उपग्रहों के समूह के बराबर होगा। आज अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित 41 भारतीय उपग्रहों में से 13 संचार उपग्रह हैं। मिश्रा ने कहा, सही मायने में यह मेड इन इंडिया उपग्रह डिजिटल भारत को सशक्त करेगा। भारत में अभी तक सबसे ज्यादा भार ले जाने में सक्षम भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क-तृतीय (GSLV MK-3) सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा है। इसका वजन पांच पूरी तरह से भरे बोइंग जम्बो विमान या 200 हाथियों के बराबर है।

यह भविष्य के भारत का रॉकेट है जो निस्संदेह गैगानॉट्स या व्योमैनॉट्स संभावित नाम के भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाएगा। जीएसएलवी एमके-तृतीय की कल्पना करने वाले पूर्व इसरो चेयरमैन के. कस्तूरीरंगन ने यह पुष्टि की कि यह भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जाने वाला यान होगा। देश में इसका कोई और विकल्प नहीं है। अंतरिक्ष विशेषग्यों का कहना है कि रॉकेट टैक्सियों की तरह होते हैं जिनमें उसमें बैठने वाला यात्री अहम होता है और इसलिए इस आगामी प्रक्षेपण में जब सभी की आंखें जीएसएलवी एमके-तृतीय पर लगी होंगी तो असली आकर्षण का केंद्र इसमें सवार विशिष्ट यात्री होना चाहिए। मिश्रा के अनुसार, जीएसएलवी एमके-तृतीय देश का पहला ऐसा उपग्रह है जो अंतरिक्ष आधारित प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके तेज स्पीड वाली इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराने में सक्षम है।

इंटरनेट सेवाओं का फैलाव शायद तुरंत ना हो लेकिन देश ऐसी क्षमता विकसित करने पर जोर दे रहा है जो फाइबर ऑप्टिक इंटरनेट की पहुंच से दूर स्थानों को जोड़ने में महत्वपूर्ण हो। तीन टन से ज्यादा वजनी जीसैट-19 उपग्रह भारत में बना और प्रक्षेपित होने वाला सबसे भारी उपग्रह होगा। यह एक विशालकाय जानवर के बराबर है। मिश्रा ने कहा, आयतन के हिसाब से भारत में बना यह सबसे विशाल उपग्रह है। यह उपग्रह वास्तव में कई नई प्रौद्योगिकियों के लिए परीक्षण स्थल है। जीसैट-19 को पहली बार स्वदेश निर्मित लीथियम आयन बैटरियों से संचालित किया जा रहा है। इन बैटरियों को इसलिए बनाया गया है ताकि भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाया जा सकें। इसके साथ ही ऐसी बैटरियों का कार और बस जैसे इलेक्टि्रक वाहनों में इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसरो के अनुसार जीसैट-19, आवेशित कणों की प्रकृति तथा उपग्रहों और उनके इलेक्ट्रॉनिक तत्वों पर अंतरिक्ष विकिरणों के प्रभाव की निगरानी तथा अध्ययन करने के लिए जियोस्टेशनरी रेडिएशन स्पेक्टोमीटर अंतरिक्ष उपकरण ले जाता है। जीसैट-19 की सबसे नई बात यह है कि पहली बार उपग्रह पर कोई ट्रांसपोन्डर नहीं होगा। मिश्रा ने कहा कि यहां तक कि आसमान के नए पक्षी के साथ ट्रांसपोन्डर शब्द ही नहीं जुड़ा होगा। यहां तक कि पहली बार इसरो पूरी तरह नए तरीके के मल्टीपल फ्रीक्वेंसी बीम का इस्तेमाल कर रहा है जिससे इंटरनेट स्पीड और कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी। वास्तव में इसरो के वैग्यानिकों का कहना है कि जीसैट-19 तो एक ट्रेलर है असली पिक्चर तो जीसैट-11 उपग्रह है जिसका आगामी कुछ महीनों में प्रक्षेपण किया जाएगा और यह एक ताकतवर संचार प्लेटफॉर्म है।

जीसैट-11 का वजन 5.8 टन है और चूंकि भारत के पास इतना विशाल उपग्रह अंतरिक्ष की कक्षा में भेजने के लिए साधन नहीं है तो इसे दक्षिण अमेरिका में कोरोउ से एरियन-5 रॉकेट के इस्तेमाल से भेजा जाएगा। उपग्रह के नंबर से भ्रमित ना हों। जैसे छोटा भाई बड़े भाई से पहले शादी कर सकता है उसी तरह जीसैट-19 का प्रक्षेपण जीसैट-11 से पहले किया जाएगा। मिश्रा ने कहा, यह केवल एक उपग्रह नहीं है बल्कि कई उपग्रहों का समूह है जिसमें सभी एक सिंगल प्लेटफॉर्म से काम करते हैं और आकाश में एकजुट होते हैं।

उन्होंने कहा कि जैसे ही यह उपग्रह अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचेगा तो भारत के लिए उपग्रह आधारित इंटरनेट स्ट्रीमिंग पूरी तरह से साकार हो जाएगी। तेजी से बदलते साइबर सुरक्षा के माहौल में भारत को तुरंत पूरी तरह से नई इंटरनेट सुविधा की जररत है क्योंकि वह सिर्फ ऑप्टिकल फाइबर, कॉपर आधारित टेलीफोनी और मोबाइल सेलुलर सेवाओं पर ही निर्भर नहीं रह सकता। आज उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवा संचार का एक मजबूत और सुरक्षित रूप है। इसरो चेयरमैन ए एस किरण कुमार ने कहा कि सभी नए यान और सभी नए उपग्रहों के साथ यह एक बड़ा प्रयोग है।

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