Wednesday, December 11, 2024
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महाराष्ट्र में कांग्रेस अकेले कुछ तय नहीं कर सकती, पवार-सोनिया की मीटिंग में होगा फैसला: मल्लिकार्जुन खड़गे

महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाने की ओर आगे बढ़े रही हैं। हालांकि, अभी इनके बीच बातचीत फाइनल नहीं हुई है। कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि 17 नवंबर को एनसीपी प्रमुख शरद पवार और एआईसीसी अध्यक्ष सोनिया गांधी मिलकर इसपर चर्चा करेंगे।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : November 15, 2019 23:58 IST
कांग्रेस अकेले कुछ तय नहीं कर सकती, पवार- सोनिया की मीटिंग में होगा फैसला: मल्लिकार्जुन खड़गे- India TV Hindi
कांग्रेस अकेले कुछ तय नहीं कर सकती, पवार- सोनिया की मीटिंग में होगा फैसला: मल्लिकार्जुन खड़गे

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाने की ओर आगे बढ़े रही है। हालांकि, अभी इनके बीच बातचीत फाइनल नहीं हुई है। कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि 17 नवंबर को एनसीपी प्रमुख शरद पवार और एआईसीसी अध्यक्ष सोनिया गांधी मिलकर इसपर चर्चा करेंगे। शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर कांग्रेस अकेले कुछ भी तय नहीं कर सकती।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि “कांग्रेस अकेले चीजों को तय नहीं कर सकती। एनसीपी प्रमुख शरद पवार और एआईसीसी अध्यक्ष सोनिया गांधी 17 नवंबर को एक साथ बैठेंगे और आगे की कार्रवाई पर चर्चा करेंगे। वह तय करेंगे कि इस समस्या को कैसे हल किया जाए। उसके बाद ही अन्य काम होंगे।” उन्होंने कहा कि “एक बार जब वह दोनों (शरद पवार और सोनिया गांधी) बैठकर चर्चा करेंगे, तभी राजनीतिक रणनीति तैयार की जाएगी। जिसका पालन किया जाएगा और लागू किया जाएगा।”

वहीं, दूसरी ओर NCP नेता शरद पवार ने विश्वास जताया कि तीन दलों की सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी और विकासोन्मुखी शासन देगी। राकांपा ने यह भी कहा कि गठबंधन की अगुवाई शिवसेना करेगी। मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा के साथ शिवसेना की सहमति नहीं बन पाई थी। कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करेगा। लेकिन, तीनों दलों का कहना है कि यह बैठक वर्षा प्रभावित किसानों के लिए तत्काल सहायता मांगने के लिए है, ना कि सरकार गठन को लेकर।

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की संभावना को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की सरकार बनेगी और यह पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। महाराष्ट्र में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है। पवार ने नागपुर में पत्रकारों से कहा कि मध्यावधि चुनाव की कोई आशंका नहीं है। यह सरकार बनेगी और पूरे पांच साल चलेगी। हम सभी यही आश्वस्त करना चाहेंगे कि यह सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। पवार के सहयोगी और राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने मुंबई में कहा कि मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के पास रहेगा।

मलिक ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा। मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर ही उसने महायुति को छोड़ा है। उनकी भावनाओं का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है।’’ गौरतलब है कि महाराष्ट्र में पहली बार ऐसा प्रयोग हो रहा है जब अलग अलग विचारधारा के ये दल सरकार बना रहे हैं जिसका नेतृत्व शिवसेना करेगी। तीनों दलों ने साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) का मसौदा तैयार कर लिया है जिससे राज्य में उनके गठबंधन का एजेंडा निर्धारित होगा। इससे पहले पिछले दो दशक में राज्य की सियासत भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के इर्दगिर्द घूमती रही है।

मुंबई में गुरूवार को हुई बैठक में कांग्रेस , राकांपा और शिवसेना के नेताओं ने सीएमपी का मसौदा तैयार किया जिसे तीनों दलों के आला नेताओं को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस बीच भाजपा ने दावा किया कि वह सरकार बनाएगी। हालांकि उनसे यह खुलासा नहीं किया कि वह 288 सदस्यीय सदन में 145 के जादुई आंकड़े तक कैसे पहुंचेगी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा, ‘‘भाजपा सबसे बड़ा दल है और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से हमारी संख्या 119 तक पहुंचती है। इसके साथ भाजपा सरकार बनाएगी।’’

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि महाराष्ट्र में अगली सरकार उनकी पार्टी की अगुवाई वाली होगी और सीएमपी राज्य के हित में रहेगा। उन्होंने दावा किया कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी अगले 25 साल महाराष्ट्र में सरकार चलाएगी, केवल पांच साल नहीं। राज्यसभा सदस्य राउत से पूछा गया था कि क्या उनकी पार्टी राकांपा तथा कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री के पद को साझा करेगी। 

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस और राकांपा से साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर बातचीत चल रही है जो राज्य और उसकी जनता के हित में होगा।’’ राउत ने कहा, ‘‘एक पार्टी की सरकार हो या गठबंधन की, शासन के लिए एजेंडा जरूरी है। बुनियादी संरचना संबंधी परियोजनाओं को आगे ले जाना है तथा सूखा, बेमौसम बारिश जैसे विषयों से भी निपटना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे साथ जो लोग जुड़ रहे हैं, उन्हें प्रशासन का अनुभव है। हमें उनके अनुभव से लाभ होगा।’’

चिर प्रतिद्वंद्वी रही कांग्रेस के गठजोड़ के सवाल पर राउत ने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेताओं ने स्वतंत्रता संघर्ष और महाराष्ट्र के विकास में योगदान दिया है। क्या शिवसेना, कांग्रेस-राकांपा के साथ गठजोड़ के बाद हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर को भारत रत्न प्रदान किये जाने की मांग छोड़ देगी और मुस्लिम आरक्षण को मंजूर करेगी, इस सवाल पर राउत ने सीधा जवाब नहीं देते हुए कहा, ‘‘हम इस तरह की अटकलों के स्रोत जानते हैं।’’ कांग्रेस जैसी विपरीत विचारधारा के दल से गठजोड़ के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘विचारधारा क्या होती है? हम राज्य के कल्याण के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं।’’ 

राउत ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने साझा न्यूनतम कार्यक्रम के साथ विभिन्न दलों के गठबंधन की अगुवाई की। महाराष्ट्र में शरद पवार ने प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चे (पीडीएफ) की सरकार 1978-80 में बनाई थी जिसमें जनसंघ शामिल था जो बाद में भाजपा बन गयी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने मुंबई में कहा कि मसौदा सीएमपी में किसानों और बेरोजगारी की समस्या से निपटने पर ध्यान दिया गया है। 

नेता ने नाम जाहिर नहीं होने की शर्त के साथ कहा, ‘‘अगर तीनों दलों के नेता सीएमपी को मंजूरी दे देते हैं तो हम समावेशी विकास और समाज के सभी वर्गों को न्याय के मानकों पर काम करेंगे।’’ पवार 17 नवंबर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं जहां सरकार गठन पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है। भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन में रहते हुए 21 अक्टूबर का विधानसभा चुनाव लड़ा था।

288 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 105 सीटें और शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं, जो सरकार बनाने के लिये बहुमत के आंकड़े को छू रही थीं। कांग्रेस और राकांपा ने क्रमश: 44 और 54 सीटें जीती थीं। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार को केंद्र को एक रिपोर्ट भेजकर मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य में स्थिर सरकार के गठन को असंभव बताया था, जिसके बाद से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। (इनपुट-भाषा)

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