Friday, April 19, 2024
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करारा जवाब देना जानता है भारत, लद्दाख को लेकर PM मोदी का बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लंबे वक्त से चले आ रहे मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हुए चीन को कड़े शब्दों में संदेश दिया कि भारत दोस्ती ही नहीं आंख में आंख डालकर चुनौती देना भी जानता है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 28, 2020 13:39 IST
Prime Minister Narendra Modi (left) with Chinese President Xi Jinping- India TV Hindi
Image Source : AP/FILE Prime Minister Narendra Modi (left) with Chinese President Xi Jinping

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लंबे वक्त से चले आ रहे मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हुए चीन को कड़े शब्दों में संदेश दिया कि भारत दोस्ती ही नहीं आंख में आंख डालकर चुनौती देना भी जानता है। वैसे तो 'मन की बात' का यह 66वां एपिसोड था लेकिन लद्दाख में भारत-चीन के बीच हुई खूनी झड़प के बाद यह पहला मौका था जब पीएम मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम को संबोधित किया।

'मन की बात' में पीएम मोदी ने कहा, "लद्दाख में भारत की तरफ आंख उठाने वालों को करारा जवाब मिला है। भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर चुनौती देना भी जानता है।" उन्होंने कहा, "लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नतमस्तक है। अपने वीर -सपूतों के बलिदान पर उनके परिजनों में जो गर्व की भावना है देश के लिए जो जज़्बा है-यही तो देश की ताकत है।"

चीन को PM मोदी ने बताई 'Mann Ki Baat'

Image Source : INDIATV
चीन को PM मोदी ने बताई 'Mann Ki Baat'

पीएम मोदी ने कहा, "आज डिफेंस सेक्टर में, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ने का निरंतर प्रयास कर रहा है, भारत आत्मनिर्भरता की तरफ क़दम बढ़ा रहा है। कोई भी मिशन जन-भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता है. इसीलिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नागरिक के तौर पर हम सबका संकल्प, समर्पण और सहयोग बहुत जरूरी है। आप लोकल खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे। ये भी एक तरह से देश की सेवा ही है।"

2020 को एक अशुभ साल के तौर पर देखने के बारे में उन्होंने कहा, ‘ये साल कब बितेगा? अब लोगों में एक आम प्रश्न बन गया है। लोग यह चाहते हैं कि जल्द से जल्द ये साल बीत जाए। मुश्किलें आती हैं, संकट आते हैं, लेकिन सवाल यही है कि क्या इन आपदाओं की वजह से हमें साल 2020 को खराब मान लेना चाहिए? मेरे प्यारे देश वासियों, बिलकुल नहीं। एक साल में एक चुनौती आए या पचास चुनौतियां। नंबर कम ज्यादा हो जाने से वह साल खराब नहीं हो जाता।’

दुनिया के देशों के प्रति भारत के व्यवहार के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेषां परिपीडनाय। खलस्य साधोः विपरीतम एतत् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय। अर्थात् जो स्वभाव से दुष्ट है वो विद्या का प्रयोग व्यक्ति विवाद में, धन का प्रयोग घमंड में और ताकत का प्रयोग दूसरों को तकलीफ देने में करता है> लेकिन सज्जन की विद्या ज्ञान के लिए, धन मदद के लिए और ताकत रक्षा देने के लिए इस्तेमाल होती है। भारत ने अपनी ताकत हमेशा इसी भावना के साथ इस्तेमाल की है।’

विपत्तियों को झेलकर भी आगे बढ़ते रहने की भारत की परंपरा के बारे में बोलते हुए पीएम ने कहा, ‘हमारे यहां कहा जाता है, सृजन शास्वत है, सृजन निरंतर है यह कल-कल छल-छल बहती क्या कहती गंगा की धारा? युग-युग से बहता आता यह पुण्य प्रवाह हमारा। क्या उसको रोक सकेंगे, मिटनेवाले मिट जाएँगे। कंकड़-पत्थर की हस्ती, क्या बाधा बनकर आए। भारत में जहां एक तरफ़ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए। नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गढ़े गए, यानी संकट के दौरान भी हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब लॉकडाउन से देश बाहर आ चुका है और अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन इस दौरान लॉकडाउन से ज्यादा सतर्कता बरतनी है। मास्क पहनना और दो गज की दूरी बनाना बहुत जरूरी है। आप लापरवाही न बरतें। अपना भी ख्याल रखें और दूसरों का भी। इसी साल में, देश नये लक्ष्य प्राप्त करेगा, नयी उड़ान भरेगा, नयी ऊंचाइयों को छुएगा। मुझे पूरा विश्वास 130 करोड़ देशवासियों की शक्ति पर है, आप सब पर है, इस देश की महान परंपरा है।’

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