Sunday, April 28, 2024
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लंबे समय तक स्कूल बंद रहने को लेकर UNESCO के अध्ययन में बड़ा खुलासा, पढ़ें रिपोर्ट

‘‘जब स्कूल बंद होते हैं: कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने का लैंगिक प्रभाव’’ शीर्षक वाला वैश्विक अध्ययन इस बात को सामने लाता है कि लड़कियां और लड़के, युवा महिलाएं और पुरुष शैक्षणिक संस्थान बंद होने से अलग-अलग तरीके से प्रभावित हुए।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 21, 2021 17:32 IST
लंबे समय तक स्कूल बंद रहने को लेकर यूनेस्को के अध्ययन में बड़ा खुलासा, पढ़ें रिपोर्ट - India TV Hindi
Image Source : PTI FILE PHOTO लंबे समय तक स्कूल बंद रहने को लेकर यूनेस्को के अध्ययन में बड़ा खुलासा, पढ़ें रिपोर्ट 

Highlights

  • यूनेस्को के अध्ययन में कहा गया है कि लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से लैंगिक समानता को खतरा है
  • लड़कियां-लड़के, युवा महिलाएं और पुरुष शैक्षणिक संस्थान बंद होने से अलग-अलग तरीके से प्रभावित हुए- अध्ययन
  • कोविड-19 महामारी के चरम दिनों में 190 देशों में 1.6 अरब छात्र स्कूल बंद होने से प्रभावित हुए- स्टेफानिया गियानिनी

नयी दिल्ली: यूनेस्को के एक नए अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने के कारण शैक्षणिक व्यवधान न केवल सीखने पर खतरनाक प्रभाव डालेगा, बल्कि लैंगिक समानता के लिए भी खतरा पैदा करेगा। ‘‘जब स्कूल बंद होते हैं: कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने का लैंगिक प्रभाव’’ शीर्षक वाला वैश्विक अध्ययन इस बात को सामने लाता है कि लड़कियां और लड़के, युवा महिलाएं और पुरुष शैक्षणिक संस्थान बंद होने से अलग-अलग तरीके से प्रभावित हुए। 

यूनेस्को की शिक्षा के लिए सहायक महानिदेशक स्टेफानिया गियानिनी ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के चरम दिनों में 190 देशों में 1. 6 अरब छात्र स्कूल बंद होने से प्रभावित हुए। उन्होंने न केवल शिक्षा तक पहुंच खो दी, बल्कि वे स्कूल जाने के कई लाभों से भी वंचित हो गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस हद तक शैक्षणिक व्यवधान का सीखने की क्षमता और स्कूल छोड़ने वालों पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, यह लैंगिक समानता के लिए भी खतरा पैदा करता है, जिसमें स्वास्थ्य, तंदुरूस्ती और सुरक्षा पर प्रभाव शामिल हैं जो विशिष्ट रूप से लैंगिक हैं।’’ 

लगभग 90 देशों के साक्ष्य और स्थानीय समुदायों से एकत्र किए गए गहन आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट से पता चलता है कि लैंगिक मानदंड और अपेक्षाएं दूरस्थ शिक्षा में भाग लेने और लाभ उठाने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। अध्ययन में बताया गया है कि डिजिटल आधार पर लैंगिक विभाजन कोविड-19 संकट से पहले से ही एक चिंता का विषय था। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘वैश्विक रिपोर्ट में बांग्लादेश और पाकिस्तान पर गहन अध्ययन ने स्कूल बंद होने के दौरान दूरस्थ शिक्षा पर इसके लैंगिक प्रभावों का खुलासा किया। 

पाकिस्तान पर किए गए अध्ययन में, प्रतिभागी जिलों में केवल 44 प्रतिशत लड़कियों ने अपने निजी इस्तेमाल के लिए मोबाइल फोन रखने की सूचना दी, जबकि 93 प्रतिशत लड़कों के पास मोबाइल फोन थे। जिन लड़कियों के पास मोबाइल फोन नहीं था, उन्होंने बताया कि वे अपने रिश्तेदारों, आम तौर पर अपने पिता के मोबाइल फोन पर आश्रित हैं।’’ 

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘लड़कियां जितनी लंबी अवधि तक स्कूल से बाहर थीं, सीखने के नुकसान का जोखिम उतना ही अधिक था। ऐसी लड़कियों की संख्या एक से 10 प्रतिशत तक बढ़ गई जिन्होंने अप्रैल से सितंबर 2020 तक बिल्कुल भी अध्ययन नहीं किया।’’ रिपोर्ट में ऑनलाइन पठन-पाठन में भागीदारी के लिए लिंग आधारित बाधाओं को दूर करने के लिए कई कदम भी सुझाए गए हैं। 

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