Tuesday, April 16, 2024
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Rajat Sharma's Blog: कैसे कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने 2010 में एनपीआर की एक बड़ी योजना बनाई थी

चिदंबरम के वीडियो और एनपीआर 2010 के फॉर्म से यह साफ है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए एक बड़ी प्रक्रिया की योजना बनाई थी।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: December 27, 2019 15:49 IST
Rajat Sharma's Blog: How Congress-led UPA govt had planned a major NPR exercise in 2010- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog: How Congress-led UPA govt had planned a major NPR exercise in 2010

इंडिया टीवी ने अपने 'आज की बात' शो में गुरुवार की रात दिखाया कि 2010 के एक वीडियो में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के बारे में क्या कहा था। एनपीआर फॉर्म में, राष्ट्रीयता की स्थिति का साफ-साफ जिक्र था, और इस पूरी प्रक्रिया में भारत में रहने वाले सभी लोगों के बायोमेट्रिक डिटेल्स को एकत्रित करना भी शामिल था।

 
गुरुवार को चिदंबरम ने यह सफाई दी कि NPR के लिए जो जानकारी एकत्र की जा रही थी, वह ‘निवास से संबंधित थी, न कि नागरिकता से।’ लेकिन पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति और 2010 का एनपीआर फॉर्म एक अलग ही कहानी कहते हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने एनपीआर 2020 के लिए जो योजना बनाई है, उसकी तुलना में एनपीआर 2010 के निर्देश ज्यादा सख्त थे। शाह ने साफ किया है कि कोई भी बायोमेट्रिक विवरण एकत्र नहीं किया जाएगा।
 
चिदंबरम के वीडियो और एनपीआर 2010 के फॉर्म से यह साफ है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए एक बड़ी प्रक्रिया की योजना बनाई थी। इसके लिए देश के प्रत्येक नागरिक की पृष्ठभूमि की जांच के लिए बायोमेट्रिक विवरणों के आधार पर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स तैयार करने का प्रस्ताव था। फर्क सिर्फ इतना है कि उस समय किसी ने भी कांग्रेस पार्टी की मंशा पर संदेह नहीं किया और न ही किसी ने सवाल उठाए।
 
लेकिन इस समय पूरे देश में एक ऐसा माहौल बनाया गया है जिसमें लोगों ने मोदी सरकार की मंशा पर संदेह करना शुरू कर दिया है। तमाम लोग अब आधारहीन अफवाहों पर यकीन करने लगे हैं और आधी-अधूरी जानकारी को परम सत्य मानकर बैठ जाते हैं। कोई भी तथ्यों में गहराई से नहीं उतरना चाहता। मुसलमानों के मन में डर पैदा कर दिया गया है कि उन्हें अपनी नागरिकता का सबूत देना होगा और अगर वे सबूत देने में कामयाब नहीं हुए तो उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जाएगा।
 
यही डर है जो लोगों को विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए सड़कों पर आने के लिए मजबूर कर रहा है। जो राजनीतिक दल मुसलमानों को परंपरागत रूप से अपना वोट बैंक मानते आए हैं, वे इन हालात का नाजायज फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
 
ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों के मन में व्याप्त भ्रांतियों और आशंकाओं को दूर करने की कोशिश नहीं की। उन्होंने बार-बार CAA और NRC के बारे में खुलकर बात की है। मोदी ने साफ कहा है कि मुसलमानों को चिंता करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ लोग डर दिखाकर लोगों को सीएए, एनआरसी और अब एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए उकसा रहे हैं। (रजत शर्मा)

देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 26 दिसंबर 2019 का पूरा एपिसोड

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