Wednesday, April 24, 2024
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स्वामी विवेकानंद जयंती पर पीएम मोदी ने देश की युवा शक्ति को किया सलाम

देश के युवाओं को संदेश देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21 वीं सदी के दिव्य भव्य भारत के लिए विकास और प्रगतिवान का जनआंदोलन खड़ा करें। स्वामी विवेकानंद के 155वें जन्मदिन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी ट्वीट शेयर किया

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 12, 2018 10:57 IST
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स्वामी विवेकानंद जयंती पर पीएम मोदी ने देश की युवा शक्ति को किया सलाम

नई दिल्ली: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें नमन किया और एक वीडियो के जरिए संदेश दिया है। पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिए कहा कि वह स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उन्हें प्रणाम करते हैं। बता दें कि आज राष्ट्रीय युवा दिवस भी है। ऐसे में पीएम ने देश की युवा शक्ति को भी सैल्यूट किया। अध्यात्म के क्षेत्र में किए गए स्वामी विवेकानंद के कार्यों को देखते हुए हर साल उनकी जयंती 12 जनवरी को 'युवा दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

देश के युवाओं को संदेश देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21 वीं सदी के दिव्य भव्य भारत के लिए विकास और प्रगतिवान का जनआंदोलन खड़ा करें। स्वामी विवेकानंद के 155वें जन्मदिन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी ट्वीट शेयर किया और विवेकानंद को नमन किया। राष्ट्रपति ने लिखा कि ‘एक महान स्कॉलर, संत और देश को एकजुट करने वाले व्यक्ति के जन्मतिथि पर हम राष्ट्रीय युवा दिवस मना रहे हैं।’ स्वामी विवेकानंद वो व्यक्ति थे जिन्होनें 25 साल की उम्र में ही घर-परिवार को छोड़कर सन्यास ले लिया था।

'उठो, जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए', 'यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दूसरों के लिए जीते हैं, वे वास्तव में जीते हैं।' गुलाम भारत में ये बातें स्वामी विवेकानंद ने अपने प्रवचनों में कही थी। उनकी इन बातों पर देश के लाखों युवा फिदा हो गए थे। बाद में तो स्वामी की बातों का अमेरिका तक कायल हो गया।

12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट के एक कायस्थ परिवार में विश्वनाथ दत्त के घर में जन्मे नरेंद्रनाथ दत्त (स्वामी विवेकानंद) को हिंदू धर्म के मुख्य प्रचारक के रूप में जाना जाता है। नरेंद्र के पिता पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वह चाहते थे कि उनका पुत्र भी पाश्चात्य सभ्यता के मार्ग पर चले। मगर नरेंद्र ने 25 साल की उम्र में घर-परिवार छोड़कर संन्यासी का जीवन अपना लिया। परमात्मा को पाने की लालसा के साथ तेज दिमाग ने युवक नरेंद्र को देश के साथ-साथ दुनिया में विख्यात बना दिया।

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