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अयोध्या राम मंदिर: हर नवमी को रामलला के माथे पर सूर्यदेव लगाएंगे तिलक, यहां जानें कैसे होगा संभव

अयोध्या में आज राम लला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है। इस बीच खबर आ रही है कि हर नवमी को रामलला के माथे पर सूर्यदेव स्वंय अपनी किरणों से तिलक लगाएंगे। यहां जानें ये संभव कैसे होगा....

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 22, 2024 15:56 IST, Updated : Jan 22, 2024 20:45 IST
अयोध्या राम मंदिर- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV अयोध्या राम मंदिर

आज अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हो गया है। आज पीएम मोदी व देश के दिग्गज राजनेता व अभिनेताओं की मौजूदगी में ये कार्यक्रम संपन्न हुआ है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री ने राम मंदिर को लेकर एक खास बात बताई है, जिसे जान आपभी हैरान होंगे। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बातचीत के दौरान कहा कि अयोध्या राम मंदिर की एक अनूठी विशेषता है कि यहां हर नवमी को 12 बजकर 06 मिनट पर सूर्यदेव स्वंय रामचंद्र के माथे पर तिलक लगाएंगे।

हर नवमी को सूर्य लगाएंगे तिलक

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि राम मंदिर के निर्माण के दौरान इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि हर साल 'श्रीराम नवमी' के दिन दोपहर के समय 12.06 बजे सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर लगभग 6 मिनट तक पड़े। जानकारी दे दें कि राम नवमी, आमतौर पर मार्च-अप्रैल में हिंदू कैलेंडर के पहले महीने के नौवें दिन मनाई जाती है, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्मदिन का प्रतीक है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने दी टेक्निकल सहायता

साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्री ने अपने बयान में कहा कि बेंगलुरु की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने सूर्य के पथ और ऑप्टिका पर अपनी मंदिर निर्माण के दौरान टेक्निकल सहायता दी है। उन्होंने कहा, "गियरबॉक्स और रिफलेक्टिव मिरर/लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि शिकारा के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को सूर्य के पथ पर नज़र रखकर गर्भ गृह तक लाया जाएगा।"

सीएसआईआर-सीबीआरआई रूड़की ने भी निभाई अहम भूमिका

सिंह ने कहा कि इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने यह भी सुनिश्चित किया है कि राम मंदिर का स्ट्रक्चर भूकंप-रोधी हो' सीएसआईआर-सीबीआरआई रूड़की (काउंसिल ऑफ साइंटेफिक एंड इंडिस्ट्रियल रिसर्च-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) ने राम मंदिर निर्माण के शुरुआती चरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्थान ने मुख्य मंदिर की डिजाइन, सूर्य तिलक सिस्टम की डिजाइन, मंदिर की नींव के डिजाइन की जांच और मुख्य मंदिर की संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी को लागू करने में योगदान दिया है।

उन्होंने यह भी जिक्र किया कि सीएसआईआर-एनजीआरआई हैदराबाद ने नींव डिजाइन और भूकंपीय/भूकंप सुरक्षा पर महत्वपूर्ण इनपुट दिए। इसके अतिरिक्त, इस भव्य संरचना के निर्माण में कई आईआईटी और इसरो की स्पेस टेक्नोलॉजी की विशेषज्ञता शामिल थी।

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