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क्या है चुनावी बॉन्ड स्कीम, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द; अब आगे क्या होगा?

केंद्र सरकार ने 2017 में ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को फाइनेंस बिल के जरिए संसद में पेश किया था। जनवरी 2018 में बने कानून पर अब कोर्ट ने रोक लगा दी है।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Feb 15, 2024 11:27 IST, Updated : Mar 11, 2024 13:18 IST
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Image Source : INDIA TV क्या है चुनावी बॉन्ड स्कीम, जिसे SC ने किया रद्द

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ़ कहा है कि चुनावी बॉन्ड असंवैधानिक हैं और इस पूरे सिस्टम में पारदर्शिता नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि चुनावी बॉन्ड बेचने वाली बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया तीन हफ्ते में चुनाव आयोग के साथ सभी जानकारियां साझा करे। इसके लिए कोर्ट ने बैंक को तीन हफ्ते का समय दिया। एसबीआई ने इस मामले को लेकर एक याचिका भी दायर की, जिसमें 30 जून तक का समय मांगा गया। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 मार्च तक सभी आंकड़े पेश करने का आदेश दिया है। 

RBI और चुनाव आयोग था बॉन्ड के खिलाफ

इसके साथ ही कोर्ट बॉन्ड के बेचने पर भी रोक लगा दी है। वहीं कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी निर्देश देते हुए कहा कि आयोग बैंक से जानकारी लेकर 31 मार्च तक सभी जानकारियां वेबसाइट पर साझा करे। बता दें कि चुनावी बॉन्ड को लेकर आयोग भी इसके खिलाफ था। वहीं केंद्रीय बैंक आरबीआई इसकी खिलाफत करती आई है। लेकिन केंद्र सरकार का मानना था कि राजनीतिक दलों को चंदा देने का यह सही माध्यम था। 

क्या है चुनावी बॉन्ड स्कीम?

केंद्र सरकार ने 2 जनवरी 2018 से इस योजना को लागू किया था। इस योजना के तहत भारत का कोई भी नागरिक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के ब्रांच से इसे खरीद सकता था। इसके साथ ही  कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत ऐसे राजनीतिक दल चुनावी बॉण्ड के पात्र हैं। शर्त बस यही है कि उन्हें लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिले हों। चुनावी बॉण्ड को किसी पात्र राजनीतिक दल द्वारा केवल अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से भुनाया जाएगा। 

दान की रकम पर मिलती थी आयकर में 100% छूट

एसबीआई इन बॉन्ड को 1,000, 10,000, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपए के समान बेचता है। इसके साथ ही दानकर्ता दान की राशि पर 100% आयकर की छूट पाता था। इसके साथ ही इस नियम में राजनीतिक दलों को इस बात से छूट दी गई थी कि वे दानकर्ता के नाम और पहचान को गुप्त रख सकते हैं। इसके साथ ही जिस भी दल को यह बॉन्ड मिले होते हैं, उन्हें वह एक तय समय के अंदर कैश कराना होता है। 

तीन दिन चली थी कोर्ट में सुनवाई

चुनावी बॉन्ड के क़ानूनी रूप में आने के बाद से इसका विरोध शुरू हो गया था। कांग्रेस पार्टी समेत कई अन्य गैर सरकारी संगठनों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस मामले में सुनवाई 31 अक्टूबर को शुरू हुई थी। तीन दिन तक चली लगातार सुनवाई के बाद 2 नवंबर 2023 को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब आज फैसला सुनाते हुए चुनावी बॉन्ड स्कीम को ही गैरकानूनी करार दिया है।

अब आगे क्या होगा?

चुनावी बॉन्ड पर कोर्ट के द्वारा रोक लगाने के बाद अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा? कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि SBI को अब टेक बेचे गए सभी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग के साथ साझा करनी होगी। इसके लिए कोर्ट ने बैंक को तीन हफ्ते का समय दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद एसबीआई ने एक याचिका दाखिल कर इस समय सीमा को और बढ़ाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई की और स्टेट बैंक इंडिया को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने इस मामले को लेकर कहा कि 12 मार्च तक ही सभी आंकड़े बैंक द्वारा पेश किए जाएं।

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