Wednesday, April 24, 2024
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आम्रपाली परियोजनाओं के लिये 1500 करोड़ की रकम को अंतिम मंजूरी, NBCC को 150 करोड़

आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को बताया गया कि सात बैंकों के समूह ने 1,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने को अंतिम मंजूरी दे दी है। इसमें से 150 करोड़ रुपये सीधे नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को दिये गये हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 04, 2022 23:13 IST
Final approval of Rs 1500 crore for pending Amrapali projects- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Final approval of Rs 1500 crore for pending Amrapali projects

Highlights

  • सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को दी गई जानकारी
  • बैंकों के समूह ने पूंजी डालने की दी अंतिम मंजूरी
  • 150 करोड़ रुपये सीधे एनबीसीसी को दिये गये

 नई दिल्ली: आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को बताया गया कि सात बैंकों के समूह ने 1,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने को अंतिम मंजूरी दे दी है। इसमें से 150 करोड़ रुपये सीधे नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को दिये गये हैं। न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी की पीठ के समक्ष अदालत द्वारा मामले में नियुक्त प्रशासक (कोर्ट रिसीवर) आर वेंकटरमानी ने सूचित किया कि बकाया राशि जारी नहीं की जा सकी है। क्योंकि बैंकों ने कहा कि पैसा जारी करने के लिये उन्हें पूर्व शर्त के रूप में बैनामा को अपने पास गिरवी रखने की जरूरत होगी। 

शीर्ष अदालत को बताया गया कि 23 जुलाई, 2019 के फैसले में इस न्यायालय की टिप्पणियों के संदर्भ में कुछ स्पष्टीकरण मांगे गये हैं। वेंकटरमानी के अनुसार, शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि आम्रपाली समूह की कंपनियों के पक्ष में सभी पट्टें रद्द किये जाते हैं। इसका मतलब होगा कि कोई भी स्वामित्व अधिकार का दस्तावेज नहीं होगा जिसे बैंकों के पास जमा किया जा सके।

‘कोर्ट रिसीवर’ और बैंकों के समूह की तरफ से पेश वकील ने कहा कि यदि आम्रपाली समूह की कंपनियों का नाम ‘कोर्ट रिसीवर’ द्वारा रिप्लेस किया जा सके तो स्थिति बदल सकती है। इस पर पीठ ने कहा कि फैसले में इस्तेमाल की जाने वाली जो बातें हैं, वह ‘कोर्ट रिसीवर’ में निहित’ हैं। न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों को आम्रपाली परियोजनाओं से संबंधित पट्टा विलेखों को वापस लेने का निर्देश दिया। साथ ही इन विलेखों को ‘कोर्ट रिसीवर’ को उपलब्ध कराने को कहा ताकि उसे समूह में शामिल बैंकों के पास रखा जा सके। पीठ ने कहा कि जो भी जरूरी हो, उसे सात दिनों में पूरा किया जाए।  

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