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GSLV-F16 और NISAR के प्रक्षेपण का दिन आज, जानें कितने बजे उठाया जाएगा ये ऐतिहासिक कदम

वैश्विक पृथ्वी अवलोकन के लिए ये ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है। इस मिशन से भारत और अमेरिका समेत वैश्विक निर्णय लेने में भी मदद मिलेगी।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Jul 30, 2025 09:36 am IST, Updated : Jul 30, 2025 09:40 am IST
NISAR- India TV Hindi
Image Source : ISRO/X इसरो-नासा निसार मिशन: जीएसएलवी-एफ16 का प्रक्षेपण

श्रीहरिकोटा: GSLV-F16 और NISAR के प्रक्षेपण को लेकर ISRO का बयान सामने आया है। ISRO ने कहा, "GSLV-F16 और NISAR के प्रक्षेपण का दिन आ गया है। GSLV-F16 अपने निर्धारित स्थान पर मजबूती से खड़ा है। NISAR तैयार है। आज शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से प्रक्षेपण होगा।"

क्यों हो रहा प्रक्षेपण?

वैश्विक पृथ्वी अवलोकन के लिए एक ऐतिहासिक कदम के रूप में ये काम किया जा रहा है। नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह 30 जुलाई, 2025 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित इस उपग्रह को पृथ्वी की उच्च-रिज़ॉल्यूशन, सभी मौसमों में, दिन-रात की तस्वीरें प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।

क्या है निसार की खासियत?

2,392 किलोग्राम वजनी और दोहरी आवृत्ति वाली रडार प्रणालियों (एल-बैंड और एस-बैंड) से संचालित, निसार आपदाओं, जलवायु परिवर्तनों और पारिस्थितिक परिवर्तनों पर लगभग वास्तविक समय के आंकड़े उपलब्ध कराएगा। इस मिशन से न केवल भारत और अमेरिका को लाभ होने की उम्मीद है, बल्कि वैश्विक निर्णय लेने और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रयासों में भी मदद मिलने की उम्मीद है।

निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया पहला प्रमुख पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है। यह मिशन नासा और इसरो के बीच एक दशक पुरानी रणनीतिक साझेदारी का प्रमाण है, जो दर्शाता है कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग वैश्विक प्रभाव वाले अत्याधुनिक विज्ञान का निर्माण कर सकता है। यह उपग्रह नासा के एल-बैंड रडार, जो वनस्पतियों और वन छतरियों को भेदने में सक्षम है, को इसरो के एस-बैंड रडार के साथ जोड़ता है, जो मिट्टी और सतही परिवर्तनों की निगरानी के लिए बेहतर अनुकूल है। यह दोहरी आवृत्ति क्षमता निसार को पृथ्वी की विभिन्न घटनाओं का बेजोड़ सटीकता के साथ पता लगाने में अद्वितीय बढ़त प्रदान करती है।

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