Friday, April 26, 2024
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Hindi Diwas: हर साल 14 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस? जानें क्यों इसे राष्ट्रभाषा का नहीं मिला दर्जा

हर साल दुनियाभर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि हिंदी दिवस को इसी दिन क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे की क्या कहानी है। साथ ही हिंदी अबतक राष्ट्रभाषा क्यों नहीं बन पाई है।

Avinash Rai Written By: Avinash Rai
Updated on: September 14, 2023 7:54 IST
Hindi Diwas Why Hindi Diwas celebrated every year on 14th September why hindi not get the status of - India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO हिंदी दिवस

Hindi Diwas: 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस पूरी दुनियाभर में मनाया जाता है। यह दिन भारतीयों के लिए खास है। यही कारण है कि स्कूल, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में इस दिन खास तरह को आयोजन किए जाते हैं। हिंदी न केवल हमारी मातृभाषा है बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय पहचान भी है। भारतवर्ष में अलग-अलग धर्म, जाति और समूह के लोग हैं। लेकिन हिंदी वो भाषा है जो सभी के बीच के दूरियों को कम करने का काम करती है। लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि जब हिंदी बोलने वालों की संख्या इतनी अधिक है और देश की मातृभाषा हिंदी है। बावजूद इसके हिंदी क्यों राष्ट्रभाषा का दर्जा न पा सकी। साथ ही 14 सितंबर के ही दिन क्यों हिंदी दिवस मनाया जाता है। 

14 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस

14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की दो वजहे हैं। दरअसल 14 सितंबर 1949 को लंबी चर्चा के बाद देवनागरी लिपि में हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने खुद 14 सितंबर की इस तारीख का चयन किया था। इस दिन को मनाने की खास वजह यह भी है कि कि यह तारीख एक मशहूर हिंदी के कवि  राजेंद्र सिंह की जयंती से भी जुड़ी है। पहली बार हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 1953 में हुई। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सुझाव पर इस दिन को मनाया गया। इस दिन को खास बनाने और हिंदी के महत्व को बढ़ाने के लिए लिहाज से हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत की गई। हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने कई विद्वानों ने अहम भूमिका निभाई है। 

हिंदी क्यों नहीं बन पाई राष्ट्रभाषा

मोहनदास करमचंद गांधी ने हिंदी भाषा को जनमानस की भाषा कहा था। वह हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे। साल 1918 में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन में उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग की थी। आजादी मिलने के बाद लंबे समय तक विचार-विमर्श चला, जिसके बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा बनाने का फैसला लिया। लेकिन कई इस फैसले से कई दक्षिण भारतीय राज्यों के लोग नाखुश थे। लोगों का ये तर्क था कि अगर सभी को हिंदी ही बोलना है तो आजादी के क्या मायने। ऐसे में काफी लोगों की नाराजगी के कारण हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका, हालांकि राजभाषा होने के कारण लोग व सरकार इसका इस्तेमाल अपने काम-काज में करती है।

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