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इडली-सांभर साउथ इंडियन डिश नहीं, सुनकर चौंक गए ना, इनकी कहानी जानकर होंगे हैरान

आज गूगल ने अपने डूडल को इडली से सजाया है, जो देखने में बहुत ही अच्छा लग रहा है। आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि इडली और सांभर दक्षिण भारतीय व्यंजन नहीं हैं। जानें कहां से आई इडली और कहां से आया सांभर? दिलचस्प है इतिहास...

Written By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : Oct 11, 2025 01:31 pm IST, Updated : Oct 11, 2025 01:42 pm IST
इडली और सांभर- India TV Hindi
इडली और सांभर

इडली और सांभर का चोली दामन का साथ है, दोनों का नाम भी एक साथ लेते हैं। अगर पूछा जाए तो आप तपाक से कहेंगे ये तो साउथ इंडियन डिश है। होटल और ढाबे के मेन्यू कार्ड में, देश विदेश में इसे साउथ इंडियन डिश के रूप में उल्लिखित किया जाता है, या जाना जाता है। लेकिन अगर हम आपको कहें कि इडली और सांभर साउथ इंडियन व्यंजन नहीं हैं, तो आप चौंक जाएंगे। लेकिन सच्चाई यही है कि इडली तो हमारे देश की ही नहीं है और सांभर दक्षिण भारत का इजाद किया हुआ नहीं है।

 

इडली की कहानी

Image Source : FILE PHOTO (INDIATV)
इडली की कहानी

इडली भारत में इंडोनेशिया से आई। इंडोनेशिया में 7वीं से 12वीं शताब्दी के बीच इसे बनाने खाने का प्रचलन शुरू हुआ, जहां इसे 'केडली' या 'केदारी' के नाम से जाना जाता था। इतिहासकारों का मानना है कि इंडोनेशिया में हिंदू राजाओं के शासनकाल में, जब वे भारत आते थे, तो वे अपने रसोइयों के साथ केडली लाते थे।

वहीं एक पक्ष ये भी है कि  इडली का संबंध अरब व्यापारियों से भी है, जिन्होंने भारत में चावल के गोले (एक तरह का पकवान) बनाना सिखाया, जो बाद में इडली के रूप में विकसित हुआ। भारत में, यह व्यंजन 10वीं शताब्दी के कन्नड़ ग्रंथों में उल्लेखित है और इसे स्थानीय सामग्री के अनुसार विकसित किया गया। इडली का दक्षिण भारतीय खानपान में लम्बा इतिहास है। इसका उल्लेख शिवकोटि आचार्य के कन्नड़ प्रलेख में मिलता है, जिसमें लिखा है कि यह व्यञ्जन केवल उड़द दाल के पिसे घोल के फर्मेंटेंसन से ही बनता था। 

सांबर की कहानी

Image Source : FILE PHOTO (INDIATV)
सांबर की कहानी

अब सांभर की कहानी भी जान लीजिए, ऐसा माना जाता है कि दाल में सब्जी और मसाले डालकर बनाए जाने वाले व्यंजन सांभर की उत्पत्ति 17वीं शताब्दी के तंजावुर में हुई थी, जो उस समय मराठा शासन के अधीन था। मराठा सम्राट शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र, संभाजी, जब तंजावुर आए, तो उन्हें एक अनोखा व्यंजन परोसा गया, जिसे शाही रसोइये ने स्वयं शाही रसोई में बनाया था। रसोइया जब यह व्यंजन बना रहा था तो उसमें डालने के लिए कोकम उसके पास नहीं था, तो रसोइये ने मूंग दाल के बजाय तूर दाल डाला और कोकम की जगह इमली का उपयोग करके इसे बनाया। जब इस व्यंजन को संभाजी को परोसा गया तो उन्होंने इसकी खूब प्रशंसा की, जिसके बाद, इस व्यंजन को उनके नाम पर ही रखा गया और सांभर कहा जाने लगा।

गूगल का डूडल

Image Source : FILE PHOTO (INDIATV)
गूगल का डूडल

इतिहास के मुताबिक 12वीं सदी के एक संस्कृत ग्रंथ, विक्रमांक अभिदय में सांभर का वर्णन मिलता है, जिसे चालुक्य राजा सोमेश्वर तृतीय ने लिखा था।इस ग्रंथ में सांभर को मसालों के मिश्रण के रूप में वर्णित किया गया है, जिसमें हींग, हल्दी, काली मिर्च और धनिया के बीज शामिल हैं, जिनका उपयोग दाल, सब्ज़ियों और मांस में किया जाता था।  यह सांभर के आविष्कार का एक और ऐतिहासिक संदर्भ प्रदान करता है, जो मराठा काल से भी पुराना है।

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