Wednesday, December 11, 2024
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पीएम मोदी ने जिस Keerthi History को दिया था क्रिएटर्स अवॉर्ड, यकीन मानिए उस लड़की की कहानी रुला देगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों दिल्ली में नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड के विजेताओं को सम्मानित किया। इस लिस्ट में एक लड़की का नाम भी था। उस लड़की ने अब रीयल लाइफ की दर्दनाक संघर्ष को साझा किया है। यकीन मानिए कहानी रोंगटे खड़े कर देगी।

Reported By : Nirnay Kapoor Edited By : Avinash Rai Published : Mar 11, 2024 11:47 IST, Updated : Mar 11, 2024 13:53 IST
Keerthi History Share her sad real life story after getting national creators award from pm narendra- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM कीर्ति हिस्ट्री ने शेयर की अपनी दर्दनाक कहानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च को भारत मंडपम में नेशनल क्रिएटर्स पुरस्कार प्रदान किया था। इस दौरान उन्होंने तमिलनाडु की रहने वाली एक लड़की को भी नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया। इस लड़की का नाम है कीर्तिका गोविंदसामी, जिन्हें कीर्ति हिस्ट्री के नाम से जाना जाता है। कीर्ति ने अब एक पोस्ट शेयर कर अपनी कहानी बयां की है और बताया है कि कैसे एक पुरस्कार ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया है। कीर्ति ने अपने अधिकारिक इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर एक पोस्ट शेयर की है। इस पोस्ट में पीएम मोदी के हाथों पुरस्कार लेते हुए कीर्ति दिख रही हैं। उन्होंने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, 'कुछ ऐसा जिसके बारे में मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। मैं जब 15 वर्ष की थी, तो मैंने अपने पिता को रोते हुए सुना, क्योंकि गांव के कुछ लोग मेरे बारे में बुरा-भला कह रहे थे। जीवनभर वे मुझपर शर्मिंदा रहे।'

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कीर्ति के संघर्ष की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी

कीर्ति ने लिखा, 'मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं था। मैं पढ़ने में बहुत अच्छी थीा। फिर क्या गलती हुई? मैं बस चीजें अपने आप करना चाहती थी। मैं अपने परिवार के पुरुषों पर निर्भर नहीं रहना चाहती थी। क्या आपको पता है कि हम लड़कियों को पास की दुकान में जाने की इजाजत नहीं थी। अगर मुझे किसी चीज की जरूरत होगी तो मुझे अपने भाईयों से भीख मांगनी पड़ेगी। एक बार मैं उस दुकान पर गई जो मेरे घर से 100 मीटर दूर थी, इसके लिए मुझे थप्पड़ मारा गया। बुनियादी चीजों के लिए मुझे संघर्ष करना पड़ा। मेरा सपना था पुरातत्ववेता बनने का। इसलिए मैंने अपने ग्रेजुएशन में विषय के तौर पर इतिहास को चुना था। ग्रेजुएशन करने के बाद मेरे घर वाले मेरी शादी कराने के पीछे पड़ गए। मुझे आज भी याद है कि मैं उस दिन किस तरह बेबसी से रोई थी।'

पापा से 6 साल तक नहीं हुई बात

कीर्ति ने आगे लिखते हुए बताया, 'इसके बाद आगे मेरे सामने जो भी काम आता गया, मैं वो करती गई। मैंने ट्यूशन देनी शुरू की। रेसेप्शनिष्ट का भी काम किया। यहां तक कि इलेक्ट्रीशियन के रूप में भी मैंने काम किया। सेकेंड हैंड लैपटॉप खरीदने में मुझे लगभग डेढ़ साल लग गए। मैं और पापा पूरे 6 साल तक बात नहीं कर रहे थे। वे मुझसे कितने निराश थे। मेरे माता-पिता को गलत मत समझिए। उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया। गांव में सिर्फ आपके माता-पिता ही आपके लिए निर्णय नहीं लेते। रिश्तेदार भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने चीजों को संतुलित करने की पूरी कोशिश की। मेरे साथ खड़े होने की पूरी कोशिश की। मैं सचमुच एक सख्त बच्ची थी।'

पीएम मोदी के पुरस्कार ने बदल दिया जीवन

कीर्ति ने आगे 2024 का जिक्र करते हुए कहा कि बात तेजी से साल 2024 में आगे बढ़ती है। मैं उन्हें पहली बार हवाई यात्रा पर ले गई। उन्होंने देखा कि मुझे प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से पुरस्कार मिल रहा है। मैं इस भावना को नहीं समझा सकती। जब मैंने देखा तो वे सातवें आसमान पर थे। जिस तरह से उन्होंने मुझे, मैं जिंदगी जीत गई, मैं जिंदगी में जीत गई। आशा है कि आने वाली पीढ़ियों की लड़कियों के लिए रास्ता कांटों से कम भरा होगा। आशा है कि उन्हें एहसास होगा कि आपकी लडकी को शिक्षित करने का मतलब यह नहीं है कि वह किसी के साथ भाग जाएगी। उन्हें जीने दीजिए, उन्हें पढ़ने दीजिए।

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