Saturday, April 27, 2024
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सगे भाई के रेप से प्रेग्नेंट 15 साल की लड़की, हाईकोर्ट 7 महीने की प्रेग्नेंसी खत्म करने पर राजी, बताई ये वजह

कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड के मुताबिक लड़की जिंदा बच्चे को जन्म दे सकती है। कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट मेडिकल ऑफिसर और सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से तत्काल बिना देर किए गर्भपात करवाने के निर्देश दिए।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: May 23, 2023 8:22 IST
pregnancy- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO हाईकोर्ट ने नाबालिग को गर्भपात कराने की अनुमति दी (प्रतिकात्मक तस्वीर)

कोच्चि: केरल हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 15 साल की लड़की को गर्भपात (Abortion) की परमिशन दे दी है। वह अपने भाई से ही 7 महीने की प्रेग्नेंट है। कोर्ट ने कहा कि यदि गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई तो नाबालिग लड़की के लिए कई सामाजिक और चिकित्सीय जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। जस्टिस जियाद रहमान ए. ए. ने कहा कि लड़की की जांच के लिए गठित एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार 32 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंसी को जारी रखने से 15 वर्षीय पीड़िता के सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।

जिंदा बच्चे को जन्म दे सकती है नाबालिग

उन्होंने कहा, ‘‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उसका जन्मा बच्चा उसके सगे भाई का होगा, उसके लिए कई सामाजिक और चिकित्सीय जटिलताएं पैदा होने की आशंका है। ऐसी परिस्थितियों में, याचिकाकर्ता द्वारा गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए मांगी गई इजाजत अपरिहार्य है।’’ कोर्ट ने कहा, ‘‘मेडिकल रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह पता चलता है कि लड़की गर्भपात के लिए फिजिकली और मेंटली फीट है। गर्भावस्था को जारी रखने से उसके सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट पहुंचने की आशंका है।’’ कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड के मुताबिक लड़की जिंदा बच्चे को जन्म दे सकती है। जस्टिस रहमान ने कहा, ‘‘ ऐसी परिस्थिति में, मैं याचिकाकर्ता की बेटी की चिकित्सीय तरीके गर्भपात कराने की अनुमति देता हूं।’’

कोर्ट ने दिया तत्काल गर्भपात करवाने का निर्देश
इसके बाद कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट मेडिकल ऑफिसर और सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से तत्काल बिना देर किए गर्भपात करवाने के निर्देश दिए। कोर्ट ने मामले को 19 मई से एक हफ्ते बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख पर प्रक्रिया पूरी होने के संबंध में एक रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।

भारत में अबॉर्शन को लेकर क्या कानून है?
भारत में अबॉर्शन कानूनी है हालांकि इसे बाद में संशोधित किया गया है। महिला को MTP ACT का पालन करते हुए गर्भपात का अधिकार मिला है।

  1. प्रेग्नेंसी के 0 से 20 हफ्ते तक- महिला न चाहते हुए भी प्रेग्नेंट हो गई हो तो वो अबॉर्शन करवा सकती है। इसके लिए बस एक रजिस्टर्ड डॉक्टर की लिखित परमिशन जरूरी है।
  2. प्रेग्नेंसी के 20 से 24 हफ्ते तक- अगर मां या बच्चे की मेंटल/फिजिकल हेल्थ को किसी तरह का खतरा है, तो महिला अबॉर्शन करा सकती है। दो डॉक्टरों की लिखित परमिशन जरूरी है।
  3. प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते बाद- महिला का यौन उत्पीड़न या रेप का हुआ है तो ऐसे केस में 24 हफ्ते बाद भी अबॉर्शन करवा सकती है। अगर गर्भवती नाबालिग हो, विकलांग हो या मानसिक रूप से बीमार हो तो भी अबॉर्शन करवा सकती है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का मेरिटल स्टेटस चेंज हो जाए (उसका तलाक हो जाए या विधवा हो जाए) तो भी अबॉर्शन करवा सकती है।

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