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PM Modi govt 8 years: मोदी सरकार ने युद्ध में फंसे एक-एक भारतीय नागरिक को कैसे निकाला? ये है ऑपरेशन गंगा की संपूर्ण दास्तान

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होते ही सबसे बड़ी चिंता भारतीयों को वहां से निकालने की थी। मोदी सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को एयरलिफ्ट करने के लिए एक मानवीय मिशन लॉन्च किया जिसको नाम दिया 'ऑपरेशन गंगा'।

Written By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : May 27, 2022 15:24 IST, Updated : Dec 16, 2022 7:14 IST
The story of Operation Ganga- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO The story of Operation Ganga  

Highlights

  • ऑपरेशन गंगा मोदी सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि
  • 23 हजार से ज्यादा भारतीयों को किया था एयरलिफ्ट
  • दूसरे देशों ने भी संकट के समय में भारत का लोहा माना

Operation Ganga: तमाम विदेश नीति के पंडित और रक्षा विशेषज्ञ यूक्रेन पर रूस की धमकियों को डीकोड करते रह गए और व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर अपने विशेष सैन्य अभियान का ऐलान कर दिया। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होते ही सबसे बड़ी चिंता भारतीयों को वहां से निकालने की थी। मोदी सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को एयरलिफ्ट करने के लिए एक मानवीय मिशन लॉन्‍च किया जिसको नाम दिया 'ऑपरेशन गंगा'।

ऑपरेशन गंगा क्यों बड़ी उपलब्धि?

रूस से युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित भारत लाने के लिए सैकड़ों उड़ानें मिशन में लगीं और अपने काम को बखूबी अंजाम दिया। यूक्रेन में रूस द्वारा मचाई जा रही भीषण तबाही के बीच 23 हजार से भी ज्यादा भारतीयों की जान बचाकर उनकी वतन वापसी कराना वाकई एक चुनौती से भरा काम था लेकिन ऑपरेशन गंगा के तहत इसमें भारत सरकार को सफलता भी मिली और दूसरे देशों ने भी संकट के समय में भारत का लोहा माना। 

ऐसा पहली बार हुआ कि देश का पूरा शासन तंत्र - राजनीतिक, कूटनीतिक, रक्षा, प्रशासनिक और अनेकानेक स्वयंसेवी संस्थाएं एक साथ सक्रिय हुए और देश के प्रधानमंत्री एक अभिभावक की तरह देश के सभी बच्चों को सकुशल स्वदेश वापस लाने में प्राणपण से जुट गए। यह देश की बढ़ती साख और प्रभाव का ही असर था कि पोलैंड जैसे देशों ने बिना वीसा और कागजों के भारतीयों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए।

पीएम मोदी ने दिया विशेष ध्यान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए अपनी कैबिनेट के अहम मंत्रियों को यूक्रेन की पश्चिमी सीमा से लगे देशों में भेजने का फैसला किया था, जिससे वहां सारी व्यवस्थाओं को जिम्मेदारी से अंजाम दिया जा सके। मोदी ने अपने मंत्रियों को इस काम में विशेष तौर पर लगाकर ये दिखा दिया था कि ऑपरेशन गंगा में किसी तरह की लापरवाही की गुंजाइश नहीं है। 

पीएम मोदी ने इस काम के लिए अपने मंत्रियों ज्योतिरादित्य सिंधिया, हरदीप पुरी, किरेन रिजिजू और वीके सिंह को चुना था। इसके अलावा पीएम मोदी ने ये आश्वासन दिया था कि पूरा सरकारी तंत्र 24 घंटे अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए काम कर रहा है। इस दौरान ये खबरें भी सामने आईं कि पीएम मोदी खुद इस मिशन को लीड कर रहे हैं।

मानवीय मिशन की चुनौतियां

इस बचाव अभियान पर जो भी खर्च आया, वह पूरा मोदी सरकार ने वहन किया। भारतीयों को युद्ध ग्रसित देश से सुरक्षित वापस लाने में एक नहीं कई सारी चुनौतियां थी। रूस के हवाई हमलों के कारण यूक्रेन का एयरस्‍पेस बंद है इसलिए पड़ोसी देश पोलैंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया से फ्लाइट्स चलाई जा रही थीं। यूक्रेन के साथ लगते इन देशों के बॉर्डर्स पर नागरिकों के ठहरने के लिए कैम्‍प लगाए गए और उन्हें राहत सामग्री मुहैया करवाई गई। इस ऑपरेशन के लिए विदेश मंत्रालय ने 24x7 हेल्‍पलाइन सेवा भी लॉन्‍च की।

यह ऑपरेशन पहले के अन्य मिशनों की तुलना में बेहद जटिल था। यूक्रेन से भारतीय छात्रों को लाना आसान नहीं था। चारों तरफ, बम और मिसाइल बरस रहे थे, सैकड़ों छात्र बर्फ़ पिघलाकर प्यास बुझाने को मजबूर और भोजन की कमी झेल रहे थे। युद्धरत यूक्रेन के ऊपर नो-फ्लाई जोन बना हुआ था। ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत ने जिस तरह से न केवल अपने 22500 नागरिकों को सुरक्षित निकला बल्कि अनेक अन्य देशों जिसमे अपने पडोसी देशो के अलावा अमरीका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों के नागरिकों का प्रत्यावर्तन भी किया। 

ऐतिहासिक है ऑपरेशन गंगा

जब भी विदेश नीति और युद्ध संकट की बात होगी तो मोदी सरकार के ऑपरेशन गंगा को भविष्य में एक ऐसी घटना के रुप में देखा जायेगा जिसमे मोदी सरकार मानवीय, जनतांत्रिक, कूटनीतिक और साहस के सभी पैमानों पर खरी उतरी। इस मिशन के तहत न केवल देश के करीब 23 हजार नागरिकों को बल्कि 18 अन्य देशों के 147 नागरिकों को भी बरसती मिसाइलों के बीच से सुरक्षित निकाल कर एक नया इतिहास रच दिया।

ऐसा किसी और देश का उदाहरण नहीं होगा जिसने इतनी गंभीरता से अपने नागरिकों को वापस लाने का काम किया। अन्य देश तो बाद में सक्रिय हुए। चीन की पहली उड़ान पांच मार्च को चली, अमेरिका ने बोल दिया कि आप खुद निकल आइए हम आपकी मदद नहीं कर सकते। न केवल हमने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकला बल्कि युद्धरत यूक्रेन को 90 टन से अधिक राहत सामग्री भी भेजी। ये न केवल भारत की भावना बल्कि उसके मूल्यों का भी प्रदर्शित करता है।

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