Tuesday, May 14, 2024
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की मातृभाषा में पढ़ाई की वकालत, 46 शिक्षकों को दिया पुरस्कार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि अगर विज्ञान, साहित्य और सामाजिक विज्ञान की पढ़ाई मातृ भाषा में कराई जाए तो इन क्षेत्रों में प्रतिभाएं और निखर कर सामने आएंगी।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @SwayamNiranjan
Published on: September 05, 2022 15:39 IST
President Draupadi Murmu - India TV Hindi
Image Source : TWITTER President Draupadi Murmu

Highlights

  • राष्ट्रपति मुर्मू ने किया राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार समारोह को संबोधित
  • मातृ भाषा में पढ़ाई से प्रतिभाएं निखरेंगी- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
  • 46 चुनिंदा शिक्षकों को विशिष्ट योगदान के लिए किया सम्मानित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि अगर विज्ञान, साहित्य और सामाजिक विज्ञान की पढ़ाई मातृ भाषा में कराई जाए तो इन क्षेत्रों में प्रतिभाएं और निखर कर सामने आएंगी। वह राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रही थीं, जहां उन्होंने अपने स्कूली शिक्षकों के योगदान को याद किया जिनकी वजह से वह कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली लड़की बनी थीं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर विज्ञान, साहित्य और सामाजिक विज्ञान की पढ़ाई मातृ भाषा में करायी जाए तो इन क्षेत्रों में प्रतिभाएं और निखर कर सामने आएंगी।’’ राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा कि भारत की स्कूली शिक्षा दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में से एक है। उन्होंने 46 चुनिंदा शिक्षकों को स्कूली शिक्षा में उनके विशिष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, 2022 से सम्मानित किया। 

चारों राज्यों के शिक्षकों को दिया गया पुरस्कार 

शिक्षा मंत्रालय देश के उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए हर साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस पर विज्ञान भवन में एक समारोह का आयोजन करता है। इन शिक्षकों को कड़ी पारदर्शी और तीन स्तरीय ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के जरिए चुना जाता है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और तेलंगाना के तीन-तीन शिक्षकों को पुरस्कार दिया गया है। इन चारों राज्यों से जिन शिक्षकों को पुरस्कार दिया गया है, उनमें हिमाचल प्रदेश से युद्धवीर, वीरेंद्र कुमार और अमित कुमार, पंजाब से हरप्रीत सिंह, अरुण कुमार गर्ग और वंदना शाही, महाराष्ट्र से शशिकांत संभाजीराव कुल्ठे, सोमनाथ वमन वाल्के और कविता सांघवी और तेलंगाना से कंदला रमैया, टी एन श्रीधर और सुनीता राव शामिल हैं। 

इन शिक्षकों को दिया गया सम्मान
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार देने का उद्देश्य देश में शिक्षकों के विशिष्ट योगदान को रेखांकित करना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता के दम पर न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया बल्कि अपने छात्रों का जीवन भी समृद्ध बनाया है।’’ उत्तराखंड से प्रदीप नेगी और कौस्तुभ चंद्र जोशी, राजस्थान से सुनीता और दुर्गा राम मुवाल, मध्य प्रदेश से नीरज सक्सेना और ओम प्रकाश पाटीदार, बिहार से सौरभ सुमन और निशि कुमारी, कर्नाटक से जी.पोनसंकरी और उमेश टीपी, सिक्किम से माला जिग्दाल दोरजी तथा सिद्धार्थ योनजोन को पुरस्कृत किया गया है। 

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित अन्य शिक्षकों में अंजू दहिया (हरियाणा), रजनी शर्मा (दिल्ली), सीमा रानी (चंडीगढ़), मारिया मुरेना मिरांडा (गोवा), उमेश भारतभाई वाला (गुजरात), ममता अहार (छत्तीसगढ़), ईश्वर चंद्र नायक (ओडिशा), बुद्धदेव दत्त (पश्चिम बंगाल), मिमी योशी (नगालैंड), नोंगमैथम गौतम सिंह (मणिपुर), रंजन कुमार बिस्वास (अंडमान और निकोबार) शामिल हैं। पुरस्कृत शिक्षकों में से एक भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से, दो केंद्रीय विद्यालय से, दो शिक्षक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से और एक-एक शिक्षक जवाहर नवोदय विद्यालय और एकलव्य आवासीय स्कूल से हैं। 

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