Saturday, April 27, 2024
Advertisement

Rajat Sharma’s Blog | अविश्वास प्रस्ताव: मोदी ने विपक्ष को कैसे पछाड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब बहस का जबाव देने का मौका मिला तो उन्होंने विपक्ष की कमियां गिनाई, अपनी सरकार के कामों का बखान किया और कांग्रेस का इतिहास याद दिलाया।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma
Updated on: August 11, 2023 16:17 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Nuh Violence, Rajat Sharma- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म विश्वास के सामने विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव टिक नहीं पाया। मोदी के जवाबी हमलों से घबरा कर कांग्रेस और उसके साथी दलों के नेता मैदान छोड़ कर भाग गए, सदन से वॉकआउट कर गए। कांग्रेस की तरफ से पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की नौबत ही नहीं आई। ध्वनिमत से मोदी के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। लेकिन इससे पहले तीन दिन तक विपक्ष के नेताओं ने प्रधानमंत्री को जितना कोसा था, जितनी गालियां दी थी, उन सबका हिसाब मोदी ने बराबर कर लिया। मोदी करीब ढाई घंटा बोले। कहा, जिनके खुद के बही-खाते बिगड़े हुए हैं, वो भी हमसे हमारा हिसाब पूछते हैं।

हालांकि मोदी अपना हिसाब किताब लेकर आए थे, लेकिन इसके साथ साथ उन्होंने कांग्रेस के जमाने में हुए कारनामों की पूरी लिस्ट भी तैयार कर रखी थी। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पिछले तीन दिन में विपक्ष की तरफ से जितनी बॉल्स फेंकी गई थी, मोदी ने उन सबको बाउंड्री के पार पहुंचाया। हालत ये हो गई कि विपक्ष की टीम ही मैदान से बाहर हो गई। राहुल गांधी ने कहा था कि वो इस बार दिमाग से नहीं, दिल से बोल रहे हैं। मोदी ने कहा कि देश को दिमाग का पहले से पता था, अब ये भी समझ आ गया है कि दिल में क्या है। मोदी ने विरोधी दलों के गठबंधन पर भी जोरदार हमला किया। कहा, यूपीए का क्रियाकर्म करके विपक्ष ने जो नई दुकान खोली है, वो चलेगी नहीं, क्योंकि इस दुकान में नफरत का, आग लगाने का, झूठ बेचने का, करप्शन का सामान है, इसे कोई नहीं खरीदेगा। इस दुकान पर ताला लगना तय है। पुराने खंडहर पर प्लास्टर करने से कुछ नहीं होगा।

मोदी ने कहा, अगर मणिपुर के हालात पर सब मिलकर चिंता जताते, सारे दल मिलकर साथ खड़े होते तो बेहतर संदेश जाता, लेकिन विपक्ष को मणिपुर की चिंता नहीं है। कांग्रेस मणिपुर के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मणिपुर में दुख देने वाली घटनाएं हुई, लेकिन वह मणिपुर के लोगों को भरोसा दिलाते हैं कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है, हालात जल्द सुधरेंगे, सबकुछ जल्दी ठीक होगा। मणिपुर पर मोदी की बात सुनने के लिए विरोधी दलों के सदस्य वहां मौजूद नहीं थे क्योंकि वे पहले ही वॉकआउट कर गए थे। वॉकआउट की नौबत इसलिए आई क्योंकि मोदी ने विपक्ष पर इतने तीखे हमले किए कि विरोधी दलों के नेताओं के लिए वहां बैठना मुश्किल हो गया। मोदी ने अपनी बैटिंग अटैंकिग मोड में ही शुरू की। आते ही विपक्ष पर हमला कर दिया। कहा कि मैच विपक्ष ने तय किया, फील्डिंग विपक्ष ने लगाई और फिर नो बॉल पर नो बॉल ही फेंकते रहे।

नरेन्द्र मोदी के भाषण को देखें और विपक्ष की बातों पर ध्यान दें तो कई बातें साफ हैं। मोदी ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का पूरा पूरा फायदा उठाया। उन्हें जब बहस का जबाव देने का मौका मिला तो उन्होंने विपक्ष की कमियां गिनाई, अपनी सरकार के कामों का बखान किया और कांग्रेस का इतिहास याद दिलाया। एक तरह से 2024 के चुनाव का कैंपेन लॉन्च कर दिया और ये भी बता दिया कि एक बार फिर एनडीए और बीजेपी की जीत क्यों और कैसे होगी। विरोधी दलों के सारे नेता मिलकर भी इस अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस का फायदा नहीं उठा पाए। मणिपुर का सवाल ऐसा था कि विरोधी दल मोदी को घेर सकते थे। प्रधानमंत्री से तीखे सवाल पूछ सकते थे लेकिन विपक्ष के नेता नो बॉल फेंकते रहे, मोदी को फ्री हिट मिले और उन्होंने जमकर चौके-छक्के लगाए। आखिर तक नॉक आउट रहे।

विरोधी दलों ने शुरू में मणिपुर को लेकर अच्छा माहौल बनाया था। लगा था जैसे मोदी मणिपुर पर खामोश हैं, इस मामले पर बोलना नहीं चाहते क्योंकि मणिपुर की हालत बहुत खराब है, कुछ गड़बड़ है, ये विरोधी दलों के लिए बड़ा अच्छा मौका बन गया था, लेकिन वो इसका फायदा उठाने में विफल रहे। दूसरी तरफ अगर अमित शाह और  मोदी के भाषण देखें तो आप देखेंगे कि  मणिपुर पर अमित शाह ने सारे सवालों के जबाव दिए और मोदी ने मणिपुर की जनता को भरोसा दिलाया कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है। मणिपुर के लोगों को बताया कि वो इस समस्या को सुलझाने के लिए  पूरी ताकत से काम कर रहे हैं  और सब कुछ जल्दी ठीक हो जाएगा। परम्परा के मुताबिक, अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष को एक बड़ा मौका मिलता है, प्रधानमंत्री के बोलने के बाद भी सवाल पूछने का। प्रस्ताव पेश करने वाले गौरव गोगोई मोदी से कड़े सवाल पूछ सकते थे लेकिन ज्यादातर विपक्षी दलों ने मोदी के भाषण के दौरान ही वॉकआउट कर दिया था इसलिए गौरव गोगोई ने यह मौका भी खो दिया।

अब बाहर आकर ये शिकायत करना कि बीजेपी ने अपने मणिपुर के सांसद को नहीं बोलने दिया, बेमानी है। मुझे लगा कि कांग्रेस और उसके साथी दलों को अच्छा मौका मिला था जो उन्होंने गंवा दिया। ये इंप्रेशन दिया कि उनकी चिन्ता मणिपुर को लेकर कम थी। इस बात की ज़िद ज्यादा थी कि मोदी को मणिपुर पर बोलने के लिए मजबूर किया जाए। उनकी ज़िद पूरी हो गई और वो मणिपुर की सवाल पर मोदी की बात सुने बिना ही वॉकआउट कर गए। ये कांग्रेस के नेताओं के अहं के लिए अच्छा हो सकता है कि उन्होंने मोदी को मणिपुर पर, इंडिया गठबंधन पर राहुल गांधी के भाषण पर बोलने के लिए मजबूर कर दिया लेकिन ये मणिपुर के लोगों के लिए अच्छा नहीं है। मणिपुर को लेकर धारदार सवाल पूछे जाते, सरकार को जवाब देने के लिए बाध्य किया जाता,  कुछ अच्छे सुझाव दिए जाते तो बेहतर होता। अगर सिर्फ राजनीति के लिहाज से देखें तो मोदी ने अपनी नीति, नीयत और मेहनत, तीनों के बारे में गिनवाया, लेकिन अब राहुल गांधी को सोचना पड़ेगा कि उन्होंने क्या गिनवाया और क्या पाया। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 10 अगस्त, 2023 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement