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'मुस्लिम लीग और तहरीक-ए-हुर्रियत पर बैन सही', UAPA न्यायाधिकरण ने केंद्र सरकार के फैसले को बताया उचित

यूएपीए ट्रिब्यूनल ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) और तहरीक-ए-हुर्रियत पर लगे 5 साल के बैन को उचित ठहराया है। बता दें कि साल 2023 में दोनों ही संगठनों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बैन लगा दिया था।

Edited By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : Jun 22, 2024 18:00 IST, Updated : Jun 22, 2024 18:31 IST
UAPA tribunal confirms Centre's decision to ban Muslim League Jammu Kashmir(Masarat Alam faction) an- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गठित एक न्यायाधिकरण ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) और तहरीक-ए-हुर्रियत, जम्मू कश्मीर पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले को शनिवार को उचित ठहराया। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सचिन दत्ता की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन जनवरी में आतंकवाद रोधी कठोर कानून यूएपीए के तहत किया गया था ताकि यह आकलन किया जा सके कि प्रतिबंध लगाने के पीछे "पर्याप्त कारण" थे या नहीं। 

मुस्लीम लीग पर 5 साल के लिए प्रतिबंध

केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने के चलते मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसर्रत आलम गुट) को सरकार ने 27 दिसंबर, 2023 को यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित घोषित कर दिया था। अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी द्वारा स्थापित तहरीक-ए-हुर्रियत को 31 दिसंबर, 2023 को पांच साल के लिए प्रतिबंधित घोषित कर दिया गया था। गिलानी की मृत्यु हो चुकी है। संगठन पर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और अधिवक्ता रजत नायर ने न्यायाधिकरण के समक्ष सरकार का प्रतिनिधित्व किया। 

तहरीके हुर्रियत पर भी बैन

बता दें कि तहरीक-ए-हुर्रियत को 31 दिसंबर 2023 को 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसकी स्थापना अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने की थी। अब गिलानी की मौत हो चुकी है। संगठन पर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ाना देने और भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने को लेकर प्रतिबंध लगाया गया था. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और अधिवक्ता रजत नायर ने ट्रिब्यूनल के समक्ष सरकार का पक्ष रखा। बता दें कि 28 फरवरी 2019 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर पर भी प्रतिबंध लगाया था। 

(इनपुट-भाषा)

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