Thursday, December 12, 2024
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कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने नए आपराधिक कानून पर जताई आपत्ति, जानें क्या दलील दी

सोमवार से देश में नए आपराधिक कानून लागी हो गए हैं। हालांकि, कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दल इन कानूनों पर विरोध जता रहे हैं। आइए जानते हैं कि विपक्षी दलों ने इस नए कानून पर क्या कहा है।

Written By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Published : Jul 01, 2024 13:12 IST, Updated : Jul 01, 2024 15:14 IST
नए आपराधिक कानूनों का विरोध।- India TV Hindi
Image Source : PTI नए आपराधिक कानूनों का विरोध। (File Photo)

एक जुलाई 2024 से देश में 3 नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। ये नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं जिन्होंने भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता,1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह ली है। हालांकि, कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दल इन नए कानूनों पर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं और इस पर पुर्नविचार की मांग कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि विपक्षी दलों ने इस नए कानून पर क्या कहा है।

खरगे ने बताया बुलडोज़र न्याय

चुनाव में राजनीतिक व नैतिक झटके के बाद मोदी जी और भाजपा वाले संविधान का आदर करने का ख़ूब दिखावा कर रहें हैं, पर सच तो ये है कि आज से जो आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन क़ानून लागू हो रहे हैं, वो 146 सांसदों को सस्पेंड कर जबरन पारित किए गए। INDIA अब ये “बुलडोज़र न्याय” संसदीय प्रणाली पर नहीं चलने देगा।

 मनीष तिवारी क्या बोले?

3 नए आपराधिक कानूनों पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि ये कानून इस देश में पुलिस राज की स्थापना करेंगे। ये आज से दो सामानांतर फौजदारी की प्रणालियों को जन्म देंगे। 30 जून 2024 की रात 12 बजे तक जो फौजदारी के मुकदमे लिखे गए हैं और अदालतों के संज्ञान में हैं, उन पर पुराने कानूनों के तहत कार्रवाई होगी। जो मामले 30 जून के बाद दर्ज किए जाएंगे उसमें नए कानून के तहत कार्रवाई होगी। भारत की जो न्यायिक प्रणाली है उसमें 3.4 करोड़ मामले लंबित हैं जिसमें से अधिकतर फौजदारी के मुकदमे हैं इसलिए इससे एक बहुत बड़ा संकट आने वाला है... इन कानूनों को संसद के समक्ष दोबारा रख कर एक संयुक्त संसदीय समिति के सामने भेजने के बाद फिर क्रियान्वयन के लिए भेजा जाना चाहिए।

डिंपल यादव-राघव चड्ढा

3 नए आपराधिक कानूनों पर समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने कहा, "यह कानून बहुत गलत तरीके से संसद में पास किए गए हैं। इन कानूनों पर कोई चर्चा नहीं है... अगर कोई विदेशों में भी अपने अधिकारों को लेकर विरोध करता है तो उन पर भी ये कानून लागू होंगे। कहीं न कहीं यह कानून पूरे देशवासियों पर शिकंजा कसने की तैयारी है।"कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, "विपक्ष की मांग है कि उसमें कई खंड ऐसे हैं जिन पर पुनर्विचार होना चाहिए लेकिन सरकार मान नहीं रही है और उसे लागू कर रही है।" नए आपराधिक कानूनों पर AAP नेता राघव चड्ढा ने कहा, "पहले इसका एक रिव्यू होना चाहिए...कानून को इतने आनन-फानन में लागू नहीं करना चाहिए। इसके बड़े दूरगामी परिणाम है।

3 नए आपराधिक कानूनों पर शिवसेना(UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "...जब ये बिल संसदीय स्थायी समिति में लाया गया था तो सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई थी और उसमें क्या कमियां हैं वो सामने रखी थीं लेकिन उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया... 145 विपक्ष के सांसदों को निलंबित कर दिया गया था... हम चाहते थे इस पर चर्चा हो... "3 नए आपराधिक कानूनों पर कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने कहा, "हमारी चिंता यह थी कि संसद में इस पर पूरी तरह से चर्चा नहीं हुई क्योंकि पूरा विपक्ष निलंबित था...यह ऐसी बड़ी बात है जो हर किसी के जीवन को प्रभावित करती है और जिस तरह से हमारा देश आपराधिक क्षेत्र में काम करता।

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