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आयुर्वेद की एंटीबायोटिक दवा फीफाट्रोल पर एम्स की मुहर

एंटीबायोटिक दवाओं के अनियंत्रित इस्तेमाल से उनके खिलाफ बैक्टीरिया और वायरस में प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो रही है। ऐसे में आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक दवाएं इनका विकल्प साबित हो सकती हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : Oct 21, 2019 04:27 pm IST, Updated : Oct 21, 2019 04:27 pm IST
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एंटीबायोटिक दवाओं के अनियंत्रित इस्तेमाल से उनके खिलाफ बैक्टीरिया और वायरस में प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो रही है। ऐसे में आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक दवाएं इनका विकल्प साबित हो सकती हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) भोपाल के अध्ययन में एक आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक दवा फीफाट्रोल को एक प्रमुख बैक्टीरिया संक्रमण के खिलाफ प्रभावी पाया गया है। शोधकर्ता टीम के प्रमुख और एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. समरन सिंह के अनुसार, आमतौर पर आयुर्वेदिक दवाएं प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं, लेकिन फीफाट्रोल में बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ने की क्षमता देखी गई है। सिंह के अनुसार, आरंभिक नतीजे उत्साहजनक हैं।

एम्स भोपाल ने अपने शोध में पाया कि फीफाट्रोल स्टैफिलोकोकस प्रजाति के बैक्टीरिया के खिलाफ बेहद शक्तिशाली है। इस प्रजाति के कई बैक्टीरिया सक्रिय हैं जिनमें आरियस, एपिडर्मिस, स्पोफिटिकस उप प्रकार शामिल हैं। इन तीनों बैक्टिरिया के खिलाफ यह प्रभावी रूप से कारगर पाया गया है। एक अन्य बैक्टीरिया पी रुजिनोसा के विरुद्ध भी यह असरदार है। इसके अलावा इकोलाई, निमोनिया, के एरोजेन आदि बैक्टीरिया के प्रति भी इसमें संवेदनशील प्रतिक्रिया देखी गई।

स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया त्वचा, श्वसन तथा पेट संबंधी संक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं। जिन लोगों का प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होता है उनमें इसका संक्रमण घातक भी हो सकता है।

फीफाट्रोल 13 जड़ी बूटियों से तैयार एक एंटी माइक्रोबियल सोल्यूशन है जिसमें पांच बूटियों की प्रमुख हिस्सेदारी तथा 8 के अंश मिलाए गए हैं। एमिल फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित फीफाट्रोल में सुदर्शन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस तथा मृत्युंजय रस हैं। जबकि आठ अन्य औषधीय अंशों में तुलसी, कुटकी, चिरयात्रा, मोथा, गिलोय, दारुहल्दी, करंज तथा अप्पामार्ग शामिल हैं।

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. रामनिवास पराशर के अनुसार, यह शोध साबित करता है कि आयुर्वेद में एंटीबायोटिक दवाओं का विकल्प मौजूद है जो पूरी तरह से जड़ी-बूटियों पर आधारित है। इसलिए सरकार को इस दिशा में फोकस करना चाहिए।

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