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इस स्वभाव वाले मनुष्य का जिंदगी में होता है सबसे बुरा हाल, अपने और पराए सबसे पहले करते हैं वार

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : Oct 11, 2020 06:05 am IST, Updated : Oct 11, 2020 06:05 am IST
Chanakya Niti-चाणक्य नीति- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार ईमानदार होने पर आधारित है।  

'किसी भी व्यक्ति को बहुत ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए। जंगल में सीधे तने वाले पेड़ ही सबसे पहले काटे जाते हैं। बहुत ज्यादा ईमानदार व्यक्ति को ही सबसे ज्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं।' आचार्य चाणक्य 

आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब ईमानदारी से है। आचार्य चाणक्य का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को ईमानदार नहीं होना चाहिए। जंगल में सीधे तने वाले पेड़ ही सबसे पहले काटे जाते हैं। बहुत ज्यादा ईमानदार व्यक्ति को ही सबसे ज्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं। आचार्य चाणक्य के कथन का अर्थ आप परिवार और नौकरी दोनों से ही जोड़कर देख सकते हैं। ईमानदार होना जरूरी है लेकिन हद से ज्यादा कोई भी चीज हानिकारक होती है। ठीक इसी प्रकार ईमानदारी भी है। अगर कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा ईमानदार है तो सबसे पहले दुष्परिणाम उसे ही भुगतने पड़ते हैं।

उदाहरण के तौर पर इस कथन को अब नौकरी से जोड़कर देखिए। कई बार आपके बॉस गलत होते हैं आपको ये बात पता भी होता है चूकि वो आपके सीनियर हैं इस लिहाज से आपको कई बार अपनी ईमानदारी को ताक पर रखना ही ठीक है। उस वक्त ईमानदारी आपकी नौकरी पर भी भारी पड़ सकती है। इसी ईमानदारी को अब परिवार से जोड़कर देखिए। 

जिस तरह हाथ की सभी उंगलियां एक समान नहीं होती ठीक उसी प्रकार घर के सभी लोग स्वभाव, विचार से अलग-अलग होते हैं। कई बार परिवार के मुखिया को घर को बचाने के लिए ईमानदारी को ताक पर रखकर परिवार की भलाई के लिए कुछ झूठ भी बोलने पड़ते हैं। ऐसा करना परिवार की एक जुटता को बरकरार रखने के लिए एकदम सही कदम है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि ज्यादा ईमानदारी वाले शख्स को ज्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं।  

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