Wednesday, April 24, 2024
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इन 3 कार्यों को करने में मनुष्य को कभी भी नहीं हटना चाहिए पीछे, वरना जीवन हो जाएगा बेकार

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: November 17, 2020 6:24 IST
 Chanakya Niti-चाणक्य नीति- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV   Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार मनुष्य को किन कार्यों को करने में कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए इस पर आधारित है। 

'व्यक्ति को अभ्यास करने में, भगवान के नाम का जाप करने में और दूसरों की भलाई करने में कभी भी संतुष्ट नहं होना चाहिए।' आचार्य चाणक्य 

आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को तीन कार्यों को करने में कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि यही वो कार्य हैं जो मनुष्य की जिंदगी का आधार होते हैं। पहले कार्य की बात करते हैं जो कि अभ्यास है। आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को कभी भी अभ्यास करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। कई बार मनुष्य किसी कार्य को करता है। उस कार्य का सही नतीजा उसे नहीं मिलता फिर भी वो उससे संतुष्ट हो जाता है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण बार कोशिश करने से भागना है। 

दूसरी चीज भगवान के नाम का जाप करने से है। आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को भगवान का नाम जाप जितनी बार भी करे वो कम है। मनुष्य को जब भी मन करें तो भगवान का नाम लें। इसका कोई समय निर्धारित नहीं है। भगवान का नाम लेने से मनुष्य का दिमाग शांत होता है और वो बुरे कर्म बिल्कुल भी नहीं करता। 

तीसरी चीज दूसरों की भलाई करना है। आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को कभी भी दूसरों की भलाई करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। दूसरों की सहायता करना सबसे बड़ा पुण्य का काम होता है। अगर आप किसी दूसरे की मुसीबत में मदद करते हैं या फिर जरूरत के समय मदद करते हैं तो इससे उस व्यक्ति का आप पर विश्वास बढ़ता है। साथ ही पुण्य भी मिलता है। 

इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा कि मनुष्य को अभ्यास करने, दूसरों की भलाई करने और भगवान के नाम का जाप करने से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए। अगर आप इनमें से किसी कार्य को करने से पीछे हटते हैं तो बिल्कुल ना करें। 

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