Sunday, April 28, 2024
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कामदा एकादशी 2018: इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें श्री विष्णु की पूजा, साथ ही जानें व्रत कथा

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा के बारें में...

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: March 26, 2018 19:51 IST

Kamda Ekadashi

Kamda Ekadashi

एकादशी व्रत दो दिनों तक होता है लेकिन दूसरे दिन की एकादशी का व्रत केवल सन्यासियों, विधवाओं अथवा मोक्ष की कामना करने वाले श्रद्धालु ही रखते हैं। व्रत द्वाद्शी तिथि समाप्त होने से पहले खोल लेना चाहिए लेकिन हरि वासर में व्रत नहीं खोलना चाहिये और मध्याह्न में भी व्रत खोलने से बचना चाहिये।  अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो रही हो तो सूर्योदय के बाद ही पारण करने का विधान है।

कामदा एकादशी कथा
प्राचीन काल में भोगीपुर नाम का एक नगर था। वहां राजा पुण्डरीक राज्य करते थे। इस नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गंधर्व वास करते थे। उनमें से ललिता और ललित में अत्यंत स्नेह था। एक दिन गंधर्व ललित दरबार में गान कर रहा था कि अचानक उसे पत्नी ललिता की याद आ गई। इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगड़ने लगे। इस त्रुटि को कर्कट नाम के नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी। राजा को बड़ा क्रोध आया और ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया।

ललिता को जब यह पता चला तो उसे अत्यंत खेद हुआ। वह श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जाकर प्रार्थना करने लगी। श्रृंगी ऋषि बोले, 'हे गंधर्व कन्या! अब चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है। कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को देने से वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा।' ललिता ने मुनि की आज्ञा का पालन किया और एकादशी व्रत का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ।

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