Wednesday, April 24, 2024
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भाद्रपद माह की अष्टमी के कृष्ण पक्ष में ही क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानिए

आप यह बात हमेशा सोचते होगे कि आखिर श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद काल के रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी में ही क्यों होता है। और किसी काल या नक्षत्र या दिन में क्यों नही पडता है। इस बारें में अधिक जानकारी हमारें पुराणो में मिलती है। जानिए इसके पीछे का कारण क्य

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 13, 2017 23:40 IST
lord krishna- India TV Hindi
lord krishna

धर्म डेस्क: पूरी दुनिया में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी तेजी से है रही है।भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव पूरी दुनिया में बडे ही धूम-धाम से मनाया जाता है। जिसके लिए तैयारी जोरो-शोरों से चल रही है। इस बार जन्माष्टमी 15 अगस्त को हैं। इस बार इस दिन बहुत ही विशेष संयोग हैं।

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आप यह बात हमेशा सोचते होगे कि आखिर श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद काल के रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी में ही क्यों होता है। और किसी काल या नक्षत्र या दिन में क्यों नही पडता है। इस बारें में अधिक जानकारी हमारें पुराणो में मिलती है। जानिए इसके पीछे का कारण क्या है।

स्कंध पुराण में है वजह वर्णित

इस बारें में विस्तार से श्री भगवतपुराण के दसवें स्कन्ध में वर्णित है कि जब भगवान कृष्ण का जन्म होना था तब वह भाद्र काल के रोहिणी नक्षत्र के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन हुए थे। इसके पीछे कारण है कि भाद्र काल का मतलब है कि कल्याणकारी, कृष्ण पक्ष का मतलब कि भगवान का नाम ही था, अष्टमी में होने का मतलब की जो पक्ष बीच में यानि की सात दिन आगे और सात दिन पीछे और रोहिणी नक्षत्र में होने का मतलब है कि कृष्ण भगबान नें सोचा कि वह वासुदेव की दुसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ से जन्म नही ले सके तो उनके कम से कम रोहिणी नक्षत्र में पैदा होकर मां का नाम तो जुड जाएगा। अर्ध्य रात्रि को पैदा होने का मतलब है कि घोर अंधकार, अज्ञान रूही अंधकार के बीच डिव्य ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न करना।

अगली स्लाइड में पढ़े श्री कृष्ण किस रुप में लिया जन्म

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