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इलेक्ट्रिक कार खरीदने को लेकर लोगों का क्या है इरादा? इस सर्वे में सामने आई ये चौंकाने वाली जानकारी

वर्तमान में भारत में प्रमुख शहरों और राजमार्गों पर 6,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हैं। यह संख्या 2027 तक बढ़कर एक लाख से अधिक हो सकती है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Sep 23, 2024 16:07 IST, Updated : Sep 23, 2024 16:07 IST
EV- India TV Paisa
Photo:FILE इलेक्ट्रिक कार

दुनिया में इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) की बिक्री लगातार बढ़ रही है। भारत भी पीछे नहीं है। यहां भी ईवी की मांग तेजी से बढ़ी है। आने वाले सालों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर लोगों की राय जानने के लिए एक सर्वे किया गया। इस सर्वे में नई कार खरीदने वाले अधिकांश लोगों ने साल 2030 तक ग्रीन एनर्जी व्हीकल (इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन आदि) को ही एकमात्र विकल्प के रूप में स्वीकार किया है। अर्बन साइंस और द हैरिस पोल के एक सर्वे से पता चलता है कि खरीदार एक इलेक्ट्रिक वाहन के लिए पेट्रोल/डीजल वाहन की लागत से 49 प्रतिशत अधिक खर्च करने को तैयार होंगे। वैश्विक सर्व में शामिल 1,000 संभावित भारतीय खरीदारों में से लगभग 83 प्रतिशत ने कहा कि वे इस दशक के अंत तक नई इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर विचार करेंगे। 

दुनिया के इन देशों में किया गया सर्वे 

अर्बन साइंस की ओर से द हैरिस पोल द्वारा ऑनलाइन किए गए सर्वेक्षण में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और जर्मनी सहित विभिन्न बाजारों से प्रतिक्रियाएं मिलीं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में नवीन ऊर्जा वाहनों के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण, सार्वजनिक इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग ढांचे के तेजी से विस्तार से प्रेरित हो रहा है। ईवी चार्जिंग ढांचे की प्रमुख शहरों में उल्लेखनीय उपस्थिति है और दूसरी श्रेणी के शहरों में भी इसकी पहुंच बढ़ रही है। वर्तमान में भारत में प्रमुख शहरों और राजमार्गों पर 6,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हैं। यह संख्या 2027 तक बढ़कर एक लाख से अधिक हो सकती है। सर्वे से पता चला है कि सकारात्मक दृष्टिकोण ईवी खंड के लिए सरकार की सक्रिय नीतिगत पहल के कारण भी है। इसमें कहा गया है कि भारत को ईवी क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी और उत्पादन पैमाने तक पहुंच बनानी चाहिए, जिसमें चीन ने महारत हासिल की है। 

चीन का अभी दबदबा बना हुआ 

सर्वे के अनुसार, अवसर बढ़ रहे हैं, लेकिन भारत के ईवी अभियान को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जब इस क्षेत्र में चीन के दबदबे से तुलना की जाती है। सर्वे के निष्कर्षों से पता चला है कि चीन लिथियम-आयन बैटरी, इलेक्ट्रिक मोटर के उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्बाध संचालन के लिए महत्वपूर्ण कलपुर्जों और चार्जिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना में अग्रणी है। इसमें कहा गया है कि इस विशेषज्ञता का लाभ उठाए बिना भारत की ईवी महत्वाकांक्षाओं को प्रासंगिक बनाए रखने में मुश्किल आ सकती है। 

 

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