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IndiGo Q1 Result: अप्रैल-जून तिमाही में 3174 करोड़ रुपये का हुआ घाटा, विमानन क्षेत्र का पुनरुद्धार हो रहा प्रभावित

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान उसकी कुल आय 177.2 प्रतिशत बढ़कर 3,170 करोड़ रुपये रही। पिछले साल की पहली तिमाही में कंपनी का कुल राजस्व 1143 करोड़ रुपये था।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 27, 2021 18:50 IST
IndiGo net loss widens to Rs 3174 cr in Q1- India TV Paisa
Photo:PTI

IndiGo net loss widens to Rs 3174 cr in Q1

नई दिल्‍ली। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) का परिचालन करने वाली इंटरग्‍लोब एविएशन (InterGlobe Aviation) ने मंगलवार को बताया कि चालू वित्‍त वर्ष की पहली तिमाही में उसे 3,174 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। कंपनी ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के कारण राजस्‍व में भारी गिरावट के कारण यह घाटा हुआ है। जून 2021 तक 277 जहाजों के बेड़े वाली इस एयरलाइन को एक साल पहले की समान अवधि में 2,844 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।

कंपनी ने एक बयान में बताया कि चालू वित्‍त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान उसकी कुल आय 177.2 प्रतिशत बढ़कर 3,170 करोड़ रुपये रही। पिछले साल की पहली तिमाही में कंपनी का कुल राजस्‍व 1143 करोड़ रुपये था। वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में कंपनी का खर्च 59.2 प्रतिशत बढ़कर 6,344 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले समान तिमाही में 3,986 करोड़ रुपये था।

कंपनी के सीईओ रोनजॉय दत्‍ता ने कहा कि पहली तिमाही के लिए हमारे वित्‍तीय परिणाम दूसरी कोविड लहर से बहुत अधिक प्रभावित रहे हैं। मई और जून में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्‍या में बहुत अधिक गिरावट रही। दूसरी लहर के खत्‍म होने के बाद इंडिगो को जुलाई और अगस्‍त माह के लिए अच्‍छी बुकिंग मिली हैं।  

किराये और क्षमता की सीमा से भाारतीय विमानन क्षेत्र का पुनरुद्धार प्रभावित

अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात संघ (आईएटीए) ने कहा है कि सरकार द्वारा पिछले साल मई से एयरलाइंस पर किराये तथा क्षमता की जो सीमा लगाई गई है, उससे भारतीय विमानन क्षेत्र का पुनरुद्धार प्रभावित हो रहा है। वैश्विक एयरलाइंस के निकाय आईएटीए के महानिदेशक विली वाल्श ने मंगलवार को यह बात कही। भारत ने पिछले साल कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बाद 25 मई को दो माह बाद अनुसूचित घरेलू उड़ान सेवाएं फिर शुरू की थीं। उस समय विमानन कंपनियों को कोविड-19 से पूर्व की 33 प्रतिशत क्षमता पर परिचालन की अनुमति दी गई थी। इस सीमा को धीरे-धीरे बढ़ाया गया। अब एयरलाइंस को अपनी सीटों की 65 प्रतिशत क्षमता पर परिचालन की अनुमति है।

वाल्श ने कहा कि बिना किसी संदेह के भारत में बाजार में इस समय मांग क्षमता से अधिक है। यदि क्षमता पर अंकुशों को हटा लिया जाता है, तो भारत में निश्चित रूप से अधिक उड़ानों की मांग रहेगी। अभी विमानन कंपनियां करीब 1,700 दैनिक उड़ानों का परिचालन कर रही हैं। यह महामारी पूर्व के 55 प्रतिशत के बराबर है। वाल्श ने कहा कि क्षमता पर अंकुश के अलावा भारत ने पिछले साल 25 मई से विमान किरायों की निचली और ऊपरी सीमा भी तय की है। यह सीमा आज भी लागू है।

उन्होंने कहा कि किराये की सीमा से प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है। सभी एयरलाइंस का लागत का आधार भिन्न होता है और वे बाजार में भिन्न कीमतों पर क्षमता की पेशकश में सक्षम होती हैं। प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की दृष्टि से यह अच्छा है।’’ आईएटीए के महानिदेशक ने कहा कि भारतीय विमानन बाजार का पुनरुद्धार किराये और क्षमता की सीमा से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि महामारी की शुरुआत में जो उपाय किए गए थे, अब उनपर सवाल हो सकता है कि क्या अब भी उनकी जरूरत है। अब हम जो जोखिम झेल रहे हैं वह 15-17 माह पहले के जोखिम से काफी अलग है। आईएटीए के सदस्यों में 290 वैश्विक एयरलाइंस हैं।

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