नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से अगस्त में शुद्ध रूप से 10.05 लाख अंशधारक जुड़े। वहीं जुलाई में यह संख्या 7.48 लाख थी। ईपीएफओ के ताजा पेरोल यानी तय वेतनमान पर रखे जाने वाले कर्मचारियों के आंकड़े से यह पता चलता है। यह आंकड़ा कोरोना वायरस महामारी के बीच संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति के बारे में जानकारी देता है। ईपीएफओ के पिछले महीने जारी अस्थायी पेरोल आंकड़े में इस साल जुलाई में शुद्ध रूप से जुड़ने वाले सदस्यों की संख्या 8.45 लाख बतायी गयी थी। इस आंकड़े को अब संशोधित कर 7.48 लाख कर दिया गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से शुद्ध रूप से फरवरी 2020 में जुड़ने वाले अंशधारकों की संख्या 10.21 लाख थी जो मार्च में घटकर 5.72 लाख रही थी।
मंगलवार को जारी ताजा आंकड़े के अनुसार अप्रैल में शुद्ध रूप से अंशधारकों की संख्या 1.04 लाख घटी जबकि सितंबर में जारी आंकड़े में यह संख्या 61,807 थी। इससे पहले, जुलाई में जारी अस्थायी आंकड़े के अनुसार शुद्ध रूप से अप्रैल महीने में एक लाख लोगों के ईपीएफओ से जुड़ने की बात कही गयी थी, जिसे अगस्त में संशोधित कर 20,164 कर दिया गया। वहीं सितंबर में जारी आंकड़े के अनुसार इसमें 61,807 की कमी होने की बात कही गयी। मई के आंकड़े को भी संशोधित किया गया है। इसके अनुसार ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या शुद्ध रूप से 35,336 कम हुई जबकि इससे पिछले महीने के आंकड़े में इसमें 40,551 नये अंशधारकों के जुड़ने की बात कही गयी थी।
शुद्ध रूप से ईपीएफओ के पास हर महीने औसतन करीब 7 लाख नये पंजीकरण होते हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान नये अंशधारकों की कुल संख्या बढ़कर 78.58 लाख रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 61.12 लाख थी। ईपीएफओ अप्रैल, 2018 से नये अंशधारकों के आंकड़े जारी कर रहा है। इसमें सितंबर 2017 से आंकड़ों को लिया गया है। ‘पेरोल’ आधारित इन आंकड़ों के अनुसार सितंबर, 2017 से अगस्त 2020 के दौरान शुद्ध रूप से 1.75 करोड़ नये अंशधारक ईपीएफओ से जुड़े। ईपीएफओ के अनुसार ‘पेरोल’ आंकड़े अस्थायी है और कर्मचारियों के रिकार्ड लगातार अपडेट किए जाते हैं।