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RBI ने repo rate को 5.15 प्रतिशत पर रखा यथावत, 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर 6% रहने का जताया अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : February 06, 2020 13:01 IST
RBI leaves repo rate unchanged at 5.15 per cent- India TV Paisa

RBI leaves repo rate unchanged at 5.15 per cent

नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्‍त वर्ष की अपनी आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को यथावत रखते हुए इसमें कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 5.15 प्रतिशत पर यथावत है।  इससे पहले लगातार 5 बार कटौती करते हुए रेपो रेट में 1.35 प्रतिशत की कमी की गई थी। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि जब तक संभव है, वह नीतिगत रुख को उदार बनाए रखने की कोशिश करेगा। मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्‍यों ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया था।  गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है। इससे पहले दिसंबर की बैठक में भी आरबीआई ने ब्याज दरें स्थिर रखी थीं।

आरबीआई ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में नरमी बरकरार है, आर्थिक वृद्धि दर संभावित क्षमता से नीचे बनी हुई है। रिजर्व बैंक को निकट भविष्य में मुद्रास्फीति के उच्च बने रहने की भी आशंका है। कुल मिलाकर मुद्रास्फीति का परिदृश्य बेहद अनिश्चित है।  

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्‍त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। आरबीआई ने कहा है कि अर्थव्‍यवस्‍था में निरंतर कमजोरी बनी हुई और आउटपुट गैप अभी भी नकारात्‍मक बना हुआ है।

रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है, इसमें कमी होने से लोन सस्ते होते हैं। आरबीआई नीतियां व ब्याज दरें तय करते वक्त खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। खाने-पीने की वस्तुओं के दाम ज्यादा बढ़ने की वजह से दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह साढ़े पांच साल में सबसे ज्यादा है।

रिजर्व बैंक को 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने का अनुमान

रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। रिजर्व बैंक ने आर्थिक समीक्षा में दिए गए आर्थिक वृद्धि के अनुमान के निचले स्तर पर अगले वित्त वर्ष की वृद्धि का अनुमान लगाया है। संसद में 31 जनवरी को पेश आर्थिक समीक्षा में 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर छह से 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में यहां हुई तीन दिवसीय बैठक के बाद मौद्रिक नीति समिति ने पाया कि अर्थव्यवस्था में नरमी अभी भी बरकरार है और आर्थिक वृद्धि की गति क्षमता से कमजोर बनी हुई है।

रिजर्व बैंक ने दिसंबर में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में 2019-20 के लिये आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। रिजर्व बैंक ने कहा कि 2020-21 में आर्थिक वृद्धि परिदृश्य को निजी उपभोग का स्तर तथा बाह्य कारकों समेत विभिन्न कारक प्रभावित करेंगे। उसने कहा कि निजी उपभोग में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रबी फसल की बेहतर संभावनाओं के मद्देनजर सुधार होने की उम्मीद है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में हालिया तेजी ने व्यापार संतुलन कृषि के पक्ष में किया है, इससे ग्रामीण आय को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

रिजर्व बैंक ने कहा कि हालांकि कोरोना वायरस के फैले संक्रमण से पर्यटकों की आवक तथा वैश्विक व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। रिजर्व बैंक ने कहा कि ग्रामीण व बुनियादी संरचना खर्च बढ़ाने के उपायों के साथ ही आम बजट में व्यक्तिगत आयकर को तार्किक बनाए जाने से घरेलू मांग को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

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