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Budget 2016: मंदी से उबरने के लिए रियल एस्टेट सेक्‍टर ने मांगी सरकार से मदद, इंडस्‍ट्री का दर्जा मिलने से सुधरेगी हालत

मंदी से उबरने के लिए इंडस्‍ट्री का दर्जा दिए जाने के साथ ही रियल एस्‍टेट सेक्‍टर ने होम लोन के ब्‍याज भुगतान पर मिलने वाली सीमा को बढ़ाने का आग्रह किया है।

Abhishek Shrivastava
Updated on: January 20, 2016 18:41 IST
Budget 2016: मंदी से उबरने के लिए रियल एस्टेट सेक्‍टर ने मांगी सरकार से मदद, इंडस्‍ट्री का दर्जा मिलने से सुधरेगी हालत- India TV Paisa
Budget 2016: मंदी से उबरने के लिए रियल एस्टेट सेक्‍टर ने मांगी सरकार से मदद, इंडस्‍ट्री का दर्जा मिलने से सुधरेगी हालत

नई दिल्‍ली। बाजार में मांग की कमी के चलते मंदी और आर्थिक सुस्ती से जूझ रहे देश के रियल एस्‍टेट सेक्‍टर ने सरकार से मदद मांगी है। आगामी बजट में इंडस्‍ट्री का दर्जा दिए जाने का आग्रह करते हुए नेशनल रियल एस्‍टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) ने होम लोन के ब्‍याज भुगतान पर मिलने वाली दो लाख रुपए की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख किए जाने की भी मांग की है।

नारेडको के अध्यक्ष प्रवीण जैन ने सरकार को सौंपे बजट पूर्व ज्ञापन में कहा है कि रियल एस्टेट क्षेत्र को इंडस्‍ट्री का दर्जा मिलने से काफी सहूलियत होगी। बड़ी नामी कंपनियां इस क्षेत्र में आएंगी और कॉरपोरेट संस्कृति तथा अनुशासन आएगा, जिसका लाभ अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सबसे ज्यादा ग्राहकों को मिलेगा। उन्‍होंने कहा कि इंडस्‍ट्री का दर्जा न होने से रियल एस्टेट क्षेत्र को बैंकों तथा दूसरे संस्थानों से कर्ज लेने में काफी मुश्किलें होती हैं। वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं होने से क्षेत्र के हालात काफी खराब होते जा रहे हैं। मांग कम होने से पूंजी घट रही है और निवेशकों तथा खरीदारों का भरोसा भी लगातार कम होता जा रहा है।

जैन ने आवास क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए आवास ऋण के ब्याज पर मिलने वाली आयकर छूट की सीमा को मौजूदा दो लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपए करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा इसके साथ ही कर्ज लेने के साल से तीन साल के भीतर मकान के अधिग्रहण अथवा उसके पूर्ण होने की शर्त को भी समाप्त कर देना चाहिए। इससे आवासीय क्षेत्र को काफी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्‍होंने कहा कि देश में 1.88 करोड़ मकानों की कमी है। इसमें भी 96 फीसदी कमी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और निम्न आय वर्ग में है। सरकार ने 2022 तक देश में दो करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाना तभी संभव होगा, जब मकान बनाने के लिए जमीन और बैंकों से आसान ऋण उपलब्ध होगा। जैन ने कहा कि जहां कहीं भी सरकारी भूमि उपलब्ध है, उसे परियोजना में इक्विटी के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए और जितना संभव हो सके इसमें अतिरिक्त भूमि को शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने सस्ते मकानों के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की तर्ज पर विशेष आवासीय क्षेत्र (एसआरजेड) बनाने का सुझाव दिया। इन क्षेत्रों में सस्ते मकान बनाने के लिए एकल खिड़की मंजूरी के साथ विशेष रियायतें और प्रोत्साहन दिए जाने चाहिए। जैन ने कहा कि आवास वित्त कंपनियों को भविष्य निधि, बीमा और पेंशन कोषों जैसे दीर्घकालिक वित्त कोषों से लंबी अवधि के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के लिए अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई विकासशील देशों में आवास वित्त के लिए इस तरह के कोषों से वित्त सुविधा की अनुमति है। भारतीय रीयल एस्टेट क्षेत्र का आकार 2013 में 78.5 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जिसके 2017 तक 140 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है।

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