नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. (आरआईएल) और ब्रिटेन की उसकी भागीदार बीपी पीएलसी ने पूर्वी अपतटीय केजी-डी6 से अगले दौर के उत्पादन में ग्राहकों को तय मात्रा अनुसार प्राकृतिक गैस उपलब्ध नहीं करा पाने की स्थिति में नकद भुगतान की प्रतिबद्धता जतायी है। गैस बिक्री और खरीद समझौता (जीएसपीए) के मसौदे के अनुसार रिलायंस और बीपी ने केजी-डी6 में आर-क्लस्टर से उत्पादित बढ़ी हुई गैस की मात्रा के लिये प्राइस डिस्कवरी बिड साझा की है। इसमें साफ कहा गया है कि अगर वे दूसरे दौर के इस उत्पादन में से खरीदार को तय मात्रा में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति नहीं कराती हैं,तो ऐसी स्थिति में विक्रेता वैकल्पिक स्रोत से प्राप्त की गयी गैस के मूल्य के बराबर भुगतान करेगा। दूसरी तरफ खरीदार कंपनियों को उतनी गैस लेनी होगी जितने को लेकर उन्होंने प्रतिबद्धता जतायी है। ऐसा नहीं करने पर इस्तेमाल नहीं की गई गैस के लिये भुगतान करना होगा।
जीएसपीए के अनुसार भुगतान करने के बावजूद गैस की निर्धारित मात्रा अगर नहीं ली जाती है, उसे अगली तिमाहियों में लिया जा सकता है। हालांकि भूकंप, बाढ़, आग लगने, महामारी, युद्ध, हड़ताल, तालाबंदी, सरकारी/नियामकीय कदमों और अदालती आदेश से विलम्ब की स्थिति जैसे आपात हालात में गैस लेने और देने की अनिवार्यता का प्रावधान लागू नहीं होगा। साथ ही गैस फील्ड क्षेत्रों में नुकसान, विफलता, गतिरोध, उत्पादन या उसकी डिलिवरी को लेकर पाबंदी भी आपात स्थिति की श्रेणी में आएगी। रिलायंस ने एक दशक पहले केजी-डी6 गैस फील्ड से उत्पादित गैस के लिये 6 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन गैस बिक्री को लेकर समझौता किया था। लेकिन कुओं से जुड़े मसलों के कारण उत्पादन तेजी से कम हुआ है। इससे बिजली संयंत्र से उपयोगकर्ता पर प्रतिकूल असर पड़ा। कपनी ने इसके लिये खरीदारों को कोई भुगतान नहीं किया और कहा कि यह चीज उसके नियंत्रण से बाहर है। हालांकि, सरकार ने निर्धारित मात्रा का उत्पादन करने में विफल रहने को लेकर जुर्माना लगाया। इस कदम को कंपनी ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चुनौती दी। मामले में निर्णय अभी लंबित है। रिलायंस बीपी ने पिछले महीने आर-क्लस्टर क्षेत्रों से उत्पादन शुरू किया। रिलायंस-बीपी ने नवंबर 2019 में केजी-डी6 के आर-श्रृंखला फील्ड से शुरूआती 50 लाख घन मीटर प्रतिदिन (यूनिट) गैस की नीलामी की थी। इसके लिये ब्रेंट क्रूड तेल को आधार बनाया गया। अब दोनों ने बढ़े हुए उत्पादन 75 लाख यूनिट गैस के लिये बोली आमंत्रित की है। यह गैस फरवरी से उपलब्ध होने की संभावना है। रिलायंस और बीपी ने नई बोली में जापान/कोरिया लिक्विड नेचुरल गैस आयात मूल्य के समरूप दर की मांग की है।