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भारतीय रिजर्व बैंक ने पॉलिसी दरों में की कटौती, कम होगी आपके होम और कार लोन की EMI

भारतीय रिजर्व बैंक ने पॉलिसी दरों में कटौती की है जिससे आने वाले दिनों में कर्ज सस्ता होने की उम्मीद बढ़ गई है

India TV Business Desk Written by: India TV Business Desk
Updated on: August 07, 2019 12:04 IST
Reserve Bank of India policy rate decision- India TV Paisa

Reserve Bank of India policy rate decision

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने पॉलिसी दरों में कटौती की है जिससे आने वाले दिनों में कर्ज सस्ता होने की उम्मीद बढ़ गई है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, अब रेपो रेट घटकर 5.40 प्रतिशत हो गया है। रेपो रेट में कटौती के बाद अब बैंकों पर भी कर्ज की दरों को कम करने का दबाव बढ़ेगा और हो सकता है कि आने वाले दिनों में बैंक होम और कार लोन की दरों में कटोती करें। हालांकि बैंक इस फैसले के बाद जमा पर दिए जाने वाले ब्याज की दरों में भी कटौती कर सकते हैं। 

रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद अब रिवर्स रेपो रेट में भी 35 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो गई है और इस कटौती के बाद अब रिवर्स रेपो रेट घटकर 5.15 प्रतिशत हो गया है। आरबीआई ने एमएसएफ यानि मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी को घटाकर 5.65 प्रतिशत कर दिया है। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने भविष्य में मॉनेटरी पॉलिसी का रुझान उदार कर दिया है जिससे आगे भी पॉलीसी दरों में और कटौती की उम्मीद जताई जा रही है। मॉनेटरी पॉलीसी के सभी सदस्यों ने रेपो रेट घटाने के पक्ष में वोट दिया अगली मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक 1 से 4 अक्टूबर के बीच होगी। 

क्या है रेपो रेट

जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम हाेने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।

क्या होता है रिवर्स रेपो रेट
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।

क्या है एसएलआर (SLR)
जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते हैं, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है, जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है।

क्या है सीआरआर (CRR) 
बैंकिंग नियमों के तहत सभी बैंकों को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा करना होता है, जिसे कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर कहते हैं।

क्या है एमएसएफ (MSF) 
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति (2011-12) में सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ/marginal standing facility) शुरू की थी। एमएसएफ यानि मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी ​के तहत कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं।

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