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कच्चा तेल 9 साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा, चुनाव के बाद लगेगा महंगाई का झटका!

आने वाले दिनों में घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल समेत तमाम पेट्रोलियम उत्पाद महंगे होंगे। यह जरूरी सामान की कीमत में बढ़ोतरी करने का भी काम करेंगे। इससे आम लोगों पर घर के बजट का बोझ बढ़ना तय है।

Alok Kumar Written by: Alok Kumar @alocksone
Updated on: February 07, 2022 14:33 IST
Petrol- India TV Paisa
Photo:FILE

Petrol

Highlights

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 94 डॉलर के करीब पहुंचा
  • घरेलू बाजार में लगातार 95वें दिन पेट्रोल-डीजल में कोई बदलाव नहीं
  • 5 राज्यों में चुनाव की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी नहीं

नई दिल्ली। भू-राजनीतिक तनावों के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उबाल आ गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 94 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है। यह इसका 9 साल (2013 के बाद) का सबसे महंगा भाव है। वहीं, ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल में जारी तेजी अभी रुकने वाली नहीं है। शॉर्ट टर्म में कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को छू सकता है। यानी, कच्चे तेल की बढ़ी कीमतों से महंगाई और बढ़ना तय है। आने वाले दिनों में घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल समेत तमाम पेट्रोलियम उत्पाद महंगे होंगे। यह जरूरी सामान की कीमत में बढ़ोतरी करने का भी काम करेंगे। इससे आम लोगों पर घर के बजट का बोझ बढ़ना तय है। 

चुनाव है नहीं तो पेट्रोल 125 रुपये लीटर पर बिकता 

इंडिया इंफोलाइन सिक्योरिटीज (IIFL Securities) के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) अनुज गुप्ता ने इंडिया टीवी को बताया कि जब 85 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कच्चा तेल पहुंचता था तो देश में पेट्रोल का भाव 110 रुपये पर पहुंच गया था। ऐसे में अब ब्रेंट क्रूड का भाव 94 डॉलर के करीब पहुंच गया है। यह 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को भी छू सकता है। यानी मौजूदा भाव पर अगर 5 राज्यों में चुनाव नहीं होते तो देश में पेट्रोल करीब 125 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया होता।  लेकिन, 10 मार्च के बाद में पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी होना तय है। 

जल्द कीमत कम होने की उम्मीद नहीं  

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि रूस और नेटो देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच ओपेक देशों द्वारा उत्पादन नहीं बढ़ाने के फैसले से कच्चे तेल में कमी आने की तुरंत उम्मीद नहीं है। वहीं, तूफान से अमेरिका में भी कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई है। ऐसे में कच्चे तेल का के बाढ़े दाम का बोझ कम करने के लिए तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल समेत दूसरे पेट्रोलियम उत्पाद की कीमत में बढ़ोतरी करनी होगी। यानी चुनाव के बाद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पेट्रोल में कम से कम 5 रुपये की बढ़ोतरी होगी। इतनी ही बढ़ोतरी डीजल में भी देखने को मिल सकती है।

घरेलू बाजार में 95वें दिन कोई बदलाव नहीं 

कच्चे तेल के बाजार में लगातार 7वें सप्ताह तेजी है लेकिन घरेलू बाजार में देखें तो यहां पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) की कीमत में लगातार 95वें दिन भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। जानकारों का कहना है कि यह राज्यों में हो रहे चुनाव के कारण है। चुनाव के बाद बढ़ोतरी तय है। 

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