Friday, April 19, 2024
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वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा GDP के 6.4% पर, जानिए क्या था सरकार का अनुमान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश आम बजट में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: May 31, 2023 19:08 IST
राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर- India TV Paisa
Photo:FILE राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर

केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत रहा। वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान में भी राजकोषीय घाटा इतना ही रहने का लक्ष्य रखा गया था। बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने केंद्र सरकार के 2022-23 के राजस्व-व्यय का आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि मूल्य के हिसाब से राजकोषीय घाटा 17,33,131 करोड़ रुपये (अस्थायी) रहा है। सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पाटने के लिए बाजार से कर्ज लेती है। सीजीए ने कहा कि राजस्व घाटा जीडीपी का 3.9 प्रतिशत रहा है। वहीं प्रभावी राजस्व घाटा जीडीपी का 2.8 प्रतिशत रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश आम बजट में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है।

बुनियादी उद्योगों की वृद्धि 3.5 प्रतिशत पर

आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार अप्रैल, 2023 में सुस्त पड़कर 3.5 प्रतिशत रह गई है। यह इसका छह महीने का निचला स्तर है। मुख्य रूप से कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों और बिजली का उत्पादन घटने से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि सुस्त पड़ी है। पिछले साल अप्रैल में बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 9.5 प्रतिशत बढ़ा था। मार्च, 2023 में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 3.6 प्रतिशत रही थी। यह बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की अक्टूबर, 2022 के बाद सबसे सुस्त रफ्तार है। उस समय बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 0.7 प्रतिशत बढ़ा था। 

चीन में कारखाना गतिविधियां मई में सुस्त पड़ीं 

चीन में कारखाना गतिविधियों में मई में गिरावट आई है। इससे यह संकेत मिलता है कि वायरस नियंत्रण उपायों के समाप्त होने के बाद चीन का आर्थिक पुनरुद्धार सुस्त पड़ा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय और एक उद्योग समूह द्वारा जारी मासिक खरीद प्रबंधक सूचकांक अप्रैल के 49.2 से गिरकर मई में 48.4 पर आ गया। इस सूचकांक के 50 से नीचे होने का मतलब सुस्ती से है।

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