Friday, December 13, 2024
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फ्री स्कीम्स से बिगड़ रही राज्यों की आर्थिक स्थिति, वित्त मंत्री ने कहा- कुछ जगह 80% तक पहुंच रहा यह खर्च

उच्च पदों पर सीधी भर्ती की योजना को वापस लेने पर वित्त मंत्री कहा कि यह कदम ‘गठबंधन की मजबूरियों’ के कारण नहीं बल्कि ‘लैटरल एंट्री’ में और सुधार के लिए था। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसी दबाव में काम नहीं कर रही है।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Oct 09, 2024 6:52 IST, Updated : Oct 09, 2024 6:52 IST
वित्त मंत्री निर्मला...- India TV Paisa
Photo:FILE वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

मुफ्त में रेवड़ियां बांटने के माध्यम से प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद से जुड़े एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गरीबों के कल्याण के लिए किये जाने वाली घोषणाओं का बोझ उठाने के लिए राज्य की वित्तीय क्षमता पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में इस तरह का प्रतिबद्ध व्यय 80 प्रतिशत तक पहुंच रहा है, जबकि विकास की जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। राज्य सरकारों के राजनीतिक वादों पर खर्च संबंधित राज्य की वित्तीय क्षमता पर आधारित होना चाहिए। सीतारमण ने यह स्पष्ट किया कि वह कल्याणकारी उपायों के खिलाफ नहीं हैं। ‘‘हम गरीबों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद से इनकार नहीं कर सकते।’’ वित्त मंत्री ने ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस बेस्ट बैंक अवार्ड्स’ कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान यह बात कही।

भारतीय नियामकों की तारीफ की

वित्त मंत्री ने वैश्विक स्तर का काम करने और प्रणाली में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए देश के वित्तीय क्षेत्र के नियामकों की सराहना की। सीतारमण ने कहा कि वह नियामकों पर सवाल उठाने या उनकी आलोचना करने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उनके योगदान को भी ध्यान में रखने की जरूरत है। उन्होंने लोगों से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) मामले में टिप्पणी करने से पहले तथ्यों पर गौर करने को कहा। सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर हितों के टकराव को लेकर आरोप लगे हैं। हालांकि, उन्होंने उन आरोपों को आधारहीन करार दिया है। यह पूछे जाने पर क्या देश में नियामकों के लिए एक निगरानी व्यवस्था की आवश्यकता है या फिर नियामकों में संचालन ढांचा बेहतर है, उन्होंने कहा, ‘‘मैं साफ तौर पर कहूं तो नियामकों के मामले में किसी भी चीज पर चर्चा करने से पहले तथ्यों को ध्यान में रखने की जरूरत है।’’ सीतारमण ने कहा कि बाजार, बैंक और बीमा समेत विभिन्न क्षेत्रों में हुए सुधार के आधार पर विभिन्न देशों के नियामकों की इस पर नजर है। ‘‘भारतीय नियामक जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे वास्तव में प्रणाली में अधिक पारदर्शिता आई है।’’ 

सरकार किसी दबाव में काम नहीं कर रही

उच्च पदों पर सीधी भर्ती की योजना को वापस लेने पर उन्होंने कहा कि यह कदम ‘गठबंधन की मजबूरियों’ के कारण नहीं बल्कि ‘लैटरल एंट्री’ में और सुधार के लिए था। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसी दबाव में काम नहीं कर रही है। यह जरूर है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में कम सीटें जीती हैं, लेकिन सरकार किसी दबाव में नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि निर्णय लेने की गति वही बनी हुई है। इस साल जून में मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के बाद से नये मंत्रिमंडल ने 15 लाख करोड़ रुपये की योजनाओं पर निर्णय किया। यह इसका संकेत है। उन्होंने कहा कि इस बात पर अधिक चर्चा की जरूरत है कि खाद्य मुद्रास्फीति को मुख्य मुद्रास्फीति से बाहर रखने के आर्थिक समीक्षा के विचार के साथ आगे बढ़ना है या नहीं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति और थोक मूल्य मुद्रास्फीति के बीच बहुत कम समानता है।

जरूरत से अधिक उधार न दें बैंक

सीतारमण ने कहा कि मोबाइल फोन के अलावा सेमीकंडक्टर और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे अन्य क्षेत्रों में भी निवेश देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खपत बेहतर हो रही है। सीतारमण ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि वे जरूरत से अधिक उधार देने से बचें। इससे परिसंपत्ति की गुणवत्ता पर दबाव पड़ सकता है। इसका असर उनके कर्ज देने की क्षमता तथा लाभ की स्थिति पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कि बैंकों का स्वास्थ्य वास्तव में अर्थव्यवस्था और परिवारों की वित्तीय सेहत को निर्धारित करता है। उन्होंने बैंकों से साइबर सुरक्षा पेशेवरों को नियुक्त करने में तेजी के साथ काम करने को कहा जो किसी भी साइबर हमले को रोकने में अत्यधिक उपयोगी होंगे। वित्त मंत्री ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से योग्य युवाओं को इंटर्नशिप देकर और उन्हें उद्योग की आवश्यकताओं से अवगत कराकर सरकार के कार्यक्रम में मदद करने की भी अपील की। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि बड़ी संख्या में इंजीनियर शैक्षणिक रूप से योग्य हैं लेकिन औद्योगिक आवश्यकताओं के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं।

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