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Inflation : रिकॉर्डतोड़ महंगाई के आंकड़ों के बाद सरकार का आया जवाब, बताया कब मिलेगी आम लोगों को राहत

वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से वैश्विक कारकों की वजह से बनी ऊंची मुद्रास्फीति की स्थिति लंबे समय कायम नहीं रहेगी।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : May 12, 2022 20:50 IST
Inflation - India TV Paisa
Photo:PTI

Inflation 

Inflation : देश में कमरतोड़ महंगाई से हर खास ओ आम परेशान है, अब सरकारी आंकड़ों में भी महंगाई नए रिकॉर्ड बना रही है। गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में महंगाई 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इस बीच महंगाई को लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से एक आधिकारिक बयान सामने आया है। 

 
वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से वैश्विक कारकों की वजह से बनी ऊंची मुद्रास्फीति की स्थिति लंबे समय कायम नहीं रहेगी। मंत्रालय का मानना है कि इन कदमों से ऊंची मुद्रास्फीति की अवधि में कमी आएगी। 

बता दें ​कि खुदरा मुद्रास्फीति पिछले 4 महीने से रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर चल रही है। वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 में मुद्रास्फीति के बढ़ने की उम्मीद है और ऐसे में सरकार और आरबीआई की तरफ से उठाए गए कदमों से इसकी अवधि में कमी आ सकती है।’’ 

मंत्रालय ने कहा कि खपत के तरीके पर आधारित आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में मुद्रास्फीति का उच्च आय वाले समूहों की तुलना में निम्न आय वर्ग पर कम प्रभाव पड़ता है। आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रण में करने के लिए रेपो दर को 0.4 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। 

अगस्त, 2018 के बाद पहली बार रेपो दर को बढ़ाया गया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि क्योंकि कुल मांग में केवल धीरे-धीरे सुधार हो रहा है इसलिये लंबे समय तक उच्च मुद्रास्फीति के बने रहने का जोखिम कम है। मंत्रालय ने कहा कि लंबे समय से देखा गया है कि घरेलू अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति इतनी बड़ी चुनौती नहीं रही है, जितनी महीने के आधार पर बदलावों से महसूस होती है। 

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा गया है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में 2022-23 में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहेगा। उल्लेखनीय है कि विश्व में बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रण में करने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन समेत ज्यादतर देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी प्रमुख नीतिगत दरों में वृद्धि की है।

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