RBI policy: रियल एस्टेट कंपनियों का मानना है कि रेपो दर में 0.5 प्रतिशत की और वृद्धि से किफायती और मध्यम आय वर्ग श्रेणी में घरों की बिक्री पर कुछ समय के लिए असर पड़ सकता है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार तीसरी बार नीतिगत दर बढ़ाई गई है। कुल मिलाकर 2022-23 में अबतक रेपो दर में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है।
सबसे कम ब्याज दर का दौर खत्म
रेपो दर में वृद्धि को लेकर रियल एस्टेट परामर्श कंपनी एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि निश्चित तौर पर अधिक है। इससे आवास ऋण और महंगा होगा।’ उन्होंने कहा कि इसी के साथ आवास ऋण पर सबसे कम ब्याज दर का दौर भी खत्म हो गया है, जो कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद आवासीय बिक्री में वृद्धि के सबसे प्रमुख कारणों में से एक था।
सस्ते घरों की मांग पर सबसे ज्यादा असर होगा
अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी राकेश यादव ने बताया कि आरबीआई के रेपो रेट में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी से होम लोन लेना महंगा होगा। यह निश्चित रूप से घर खरीदारों की क्षमता को प्रभावित करेगा। इसका सबसे ज्यादा असर अफोर्डेबल घरों की मांग पर देखने को मिलेगा। कुछ समय के लिए मांग प्रभावित हो सकती है। हालांकि, लंबी अवधि में घरों की मांग में तेजी रहने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर खरीद पर इसका बहुत अधिक असर नहीं होगा। लेकिन सेंटिमेंट कुछ समय के लिए जरूर प्रभावित होगा।
लक्ज़री श्रेणी पर ख़ास प्रभाव नहीं पड़ेगा
कोलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रमेश नायर ने कहा कि कई बैंकों ने पहले ही आवास ऋण की दरों में बढ़ोतरी शुरू कर दी है और इस प्रवृत्ति के जारी रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, आवास ऋण की उच्च दरों से घर खरीदारों की भावनाओं पर असर पड़ा है। विशेष कर किफायती और मध्यम आवास श्रेणी में। हालांकि, उच्च और लक्ज़री श्रेणी पर इसका ख़ास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
बिक्री को सुस्त कर सकती है बढ़ोतरी
नाइट फ्रैंक इंडिया के चयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि तीसरी बार दरों में वृद्धि का मतलब सामर्थ्य में गिरावट होगी और यह घर खरीदारों की भावनाओं को प्रभावित कर सकती है। जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री समंतक दास ने कहा कि आवास ऋण की दरों में 0.30 से 0.40 प्रतिशत की और वृद्धि आवासीय क्षेत्र में बिक्री को सुस्त कर सकती है। इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी के सीईओ अमित गोयल के अनुसार, आवास ऋण की दरें अब लगभग आठ प्रतिशत सालाना होने की उम्मीद है, जो मध्य और किफायती आवास खंड की मांग पर अल्पकालिक अवधि के दौरान कुछ हद तक मनोवैज्ञानिक रूप से कमी ला सकती है, लेकिन इसके लंबे समय तक जारी नहीं की संभावना नहीं है।
कोई स्थायी प्रभाव नहीं होगा
क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा, आरबीआई द्वारा रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि उम्मीद के अनुरूप है। इस वृद्धि के साथ रेपो दर अपना चक्र पूरा करते हुए महामारी के पूर्व स्तर पर वापस आ गई है। उन्होंने कहा, हमें नहीं लगता कि इसका उपभोक्ताओं की भावनाओं पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि वे वर्तमान में उत्साहित है। आवास के साथ-साथ खुदरा क्षेत्र भी फलते-फूलते रहेंगे क्योंकि बैंकों द्वारा आवास ऋण की ब्याज दरों में वास्तविक वृद्धि उपयुक्त होगी। इसके अलावा रहेजा डेवलपर्स के नयन रहेजा ने कहा, यह वृद्धि शुरुआत में संपत्ति क्षेत्र के बाजारों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन इसका कोई स्थायी प्रभाव नहीं होगा।
संपत्तियों की बिक्री पर असर पड़ेगा
क्रेडाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अमित मोदी ने कहा, आरबीआई का रेपो दर में वृद्धि का निर्णय निश्चित रूप से घर खरीदारों की क्षमता को प्रभावित करने वाला है। इसका असर विशेष रूप से मध्यम वर्ग के लोगों पर दिखाई देगा। उन्होंने कहा, इस बढ़ोतरी के बाद, लाखों घर खरीदार संपत्ति बाजार से दूर हो सकते हैं। साथ ही अचल संपत्ति बाजार में परियोजनाओं की बिक्री की गति भी कम हो जाएगी। भूमिका ग्रुप के एमडी, उद्धव पोद्दार ने कहा कि आरबीआई ने 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी करके रेपो दरों को 4.90 से बढ़ाकर 5.40 कर दिया। आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए किसी अन्य सख्त उपाय उठाने के बजाय एक मापा हुआ दृष्टिकोण अपनाया है। हालांकि इससे संपत्तियों की बिक्री पर असर पड़ेगा क्योंकि संभावित खरीदार घर या किसी अन्य संपत्ति को खरीदने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा या उसे स्थगित कर देगा।
बचत बढ़ने से बाजार में लौटेगी तेजी
रुपया पैसा डॉट कॉम के मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश पाण्डेय ने कहा कि खुदरा महंगाई लगातार छठे महीने आरबीआई के लक्ष्य से ऊपर बना हुआ है। पिछले तीन महीने से खुदरा महंगाई दर रिकाॅर्ड 7 फीसदी से ऊपर है। ऐसे में आरबीआई के पास ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं था। इसके चलते आरबीआई ने नीतिगत दरों को 50 बीपीएस की बढ़ोतरी की है। इस वृद्धि से होम लोन समेत दूसरे लोन की ईएमआई बढ़ेगी जिससे बाजार का सेंटिमेंट प्रभावित होगा। हालांकि, लंबी अवधि में इसका फायदा मिलेगा। महंगाई कम होने से लोगों की बचत बढ़ेगी जिससे बाजार को फायदा मिलेगा। त्योहारी सीजन में इस वृद्धि का बहुत ज्यादा असर देखने को नहीं मिलेगा। मांग तेज बनी रहेगी।