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देश की बड़ी आबादी के लिए Repo Rate में वृद्धि फायदेमंद, रिक्शे वाले से लेकर करोड़पति होंगे लाभावान्वित

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आसमान छूती महंगाई से राहत मिलती है तो यह सिर्फ ​गरीबों के लिए ही नहीं बल्कि अमीरों के लिए राहत की बात होगी।

Alok Kumar Written by: Alok Kumar @alocksone
Published on: May 05, 2022 15:33 IST
Mahangai inflation- India TV Paisa
Photo:INDIA TV

Mahangai inflation

Highlights

  • केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को पहले के 40 बीपीएस बढ़ाकर 4.40% कर दिया है
  • मई 2020 के बाद से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था अब तक
  • रेपो रेट बढ़ाने से बैंक के लिए आरबीआई से कर्ज लेना महंगा होगा

RBI का अचानक से Repo Rate के साथ-साथ नकद आरक्षित अनुपात (CRR) बढ़ाना बहुत लोगों को नहीं भा रहा है। इसकी वजह यह है कि रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद सभी तरह की लोन की EMI बढ़ेगी। सबसे अधिक बोझ होम और कार लोन लेने वाले ग्राहकों पर होगा। ऐसे में आम अवधारणा है कि ब्याज दर में बढ़ोतरी से आम आदमी पर वित्तीय बोझ बढ़ता है। हालांकि, हकीकत में ऐसा नहीं है। ब्याज दर में बढ़ोतरी से नुकसान कम और फायदे ज्यादा हैं। ऐसा इसलिए कि ब्याज दर बढ़ने से महंगाई कम होती है जो लोगों को बचत बढ़ाने का काम करती है। आइए, समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे आरबीआई द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी रिक्शे वाले से लेकर करोड़पति के लिए फायदेमंद है। 

रिक्शे वाले से लेकर करोड़पति होंगे लाभावान्वित

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आसमान छूती महंगाई से राहत मिलती है तो यह सिर्फ ​गरीबों के लिए ही नहीं बल्कि अमीरों के लिए राहत की बात होगी। ऐसा इसलिए कि महंगाई एक तरह से अदृश्य टैक्स है जो हर आय वर्ग से उगाही करता है। इस टैक्स की मार से रिक्शे वाले से लेकर अमीर तक को परेशान होना होता है। उसके घर का बजट बिगड़ता है। ऐसे में अगर भारतीय रिजर्व बैंक के ब्याज दर में बढ़ोतरी से  महंगाई में कमी आती है तो इसका फायदा देश की बड़ी आबादी को मिलेगा। सभी आय वर्ग के घर का बजट पर कम खर्च होगा। इससे बचत बढ़ेगी। जहां तक ईएमआई बढ़ने की बात है देश की कुल आबादी के मुकाबले होम, कार लोन की ईएमआई चुकाने वालों की संख्या बहुत कम है। यानी कुल मिलकार यह फायदे का सौदा ज्यादा है। 

आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर ऐसे महंगाई को काबू करेगा

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट और CRR में वृद्धि से बाजार में लिक्विडिटी कम होगी। कोरोना के कारण बाजार में मांग बिल्कुल खत्म हो गई थी, तब दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दर कम कर कृत्रिम मांग पैदा था। आरबीआई ने भी ऐसा किया था। अब हालात बदल चुके हैं। बाजार में एक्सेस लिक्विडिटी होने से महंगाई चरम पर हैं। ऐसे में अब रेपो रेट में बढ़ोतरी से लोन महंगा होगा। वहीं, CRR में बढ़ोतरी से बैंकों के पास करीब 85 हजार करोड़ रुपये कम होंगे। इन कदम से बाजार में लिक्विडिटी कम होगी जो महंगाई को काबू करने का काम करेगी। दरअसल, बाजार से लिक्विडिटी कम करने पर आर्टिफिशियल डिमांड को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इससे मांग घटती है जो महंगाई को नियंत्रित करने का काम करती है। 

ब्याज सस्ता होने पर क्यों बढ़ जाती है महंगाई 

अर्थशास्त्र के नियम के अनुसार, किसी चीज की कीमत मांग और आपूर्ति यानी सप्लाई पर निर्भर करती है। जब किसी चीज की मांग बढ़ती है और उसके अनुसार सप्लाई नहीं होती तो उसकी कीमत बढ़ जाती है। बाजार में महंगाई का घटना और बढ़ना उत्पादों की मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करता है। लोन सस्ता होने से लोग खूब खरीदारी करते हैं। वहीं, बाजार में लिक्विडिटी अधिक होने पर मांग बढ़ती है। रेपो रेट में कमी कर आरबीआई बाजार में तरलता कम करेगा। रेपो रेट बढ़ाने से लोन महंगा होगा। ऐसे में लोग लोन लेने से हिचकेंगे। इससे मांग कम करने में मदद मिलेगी। इससे एक्सेस मांग में कमी आएगी जो महंगाई को कम करने का काम करेगा। 

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