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भारत के पास डोनाल्ड ट्रम्प के 50% टैरिफ का क्या है तोड़? इससे कैसे निपट सकता है देश?

डोनाल्ड ट्रम्प के 50% टैरिफ को देखते हुए भारत सरकार ने व्यापारिक अनिश्चितताओं से निपटने के लिए ₹20,000 करोड़ का विशेष निर्यात प्रोत्साहन मिशन तैयार किया है। साथ ही सरकार घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय मांगों पर विचार कर रही है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Aug 08, 2025 05:56 pm IST, Updated : Aug 08, 2025 05:58 pm IST
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हाथ मिलाते अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। (फाइल फोटो)- India TV Paisa
Photo:AP प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हाथ मिलाते अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। (फाइल फोटो)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके साथ ही, भारत पर कुल 50% टैरिफ का ऐलान हो गया है। इसके चलते दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में नया तनाव पैदा हो गया है। इस फैसले के बाद भारतीय निर्यातक और उद्योग जगत संभावित झटकों और नुकसान को लेकर चिंतित हैं और इससे निपटने के उपाय तलाश रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भारत के पास अमेरिका के टैरिफ का तोड़ क्या है? भारत कैसे इससे निपटेगा?

भारत-अमेरिका व्यापार संबंध और वर्तमान स्थिति

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत अमेरिका को $86.51 अरब डॉलर मूल्य का सामान निर्यात करता है। इनमें प्रमुख उत्पादों में रत्न-आभूषण, झींगा (श्रिंप), वस्त्र और टेक्सटाइल शामिल हैं। हाल ही में ट्रंप ने कहा कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता अब ठहराव की स्थिति में पहुंच चुका है। भारत सरकार ने व्यापारिक अनिश्चितताओं से निपटने के लिए ₹20,000 करोड़ का विशेष निर्यात प्रोत्साहन मिशन तैयार किया है। मिशन को वाणिज्य, MSME और वित्त मंत्रालय मिलकर संचालित करेंगे। इसे अगस्त तक अंतिम रूप देकर सितंबर 2025 से लागू करने की योजना है।

मिशन के 5 प्रमुख घटक होंगे:

  • ट्रेड फाइनेंस (निर्यात ऋण की सुविधा)
  • गैर-व्यापार वित्त (नियम, मानक और बाजार तक पहुंच)
  • ब्रांड इंडिया को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना
  • ई-कॉमर्स और वेयरहाउसिंग हब्स का विकास
  • व्यापार सुविधा सुधार 

सेक्टर-विशिष्ट मांगों पर सरकार का ध्यान

सरकार घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय मांगों पर विचार कर रही है। इनमें मौजूदा योजनाओं को विस्तार देना, नई योजनाएं शुरू करना, अनुपालन को सरल बनाना, व्यापार को विविध बनाना शामिल हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार MSME सेक्टर और निर्यातकों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और सिंगल विंडो सिस्टम शुरू करे, ताकि उन्हें निर्यात ऋण, बीमा और जोखिम कवर की सुविधाएं मिल सकें।

सबसे ज्यादा असर टेक्सटाइल सेक्टर पर

ट्रंप के टैरिफ से सबसे अधिक प्रभाव वस्त्र उद्योग पर पड़ने की आशंका है। भारत का $4 अरब डॉलर का टेक्सटाइल निर्यात, जिसमें टी-शर्ट और होम टेक्सटाइल शामिल हैं, प्रभावित हो सकता है। बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों पर भारत की तुलना में कम शुल्क लगाए गए हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा और बढ़ गई है। सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में घोषित ₹2,250 करोड़ के मिशन को विस्तृत करके टेक्सटाइल सेक्टर के लिए विशेष उपाय जोड़ने की तैयारी में है।

भारत के सामने क्या विकल्प हैं?

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पास दो प्रमुख विकल्प हैं। एक, नए निर्यात बाजारों की खोज करना और अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करना। दूसरा, घरेलू मांग को बढ़ावा देना और स्थानीय विनिर्माण को सशक्त बनाना। खबर यह भी है कि भारत का विशाल घरेलू बाजार दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को आकर्षित करता है, और कई देश भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लिए इच्छुक हैं।

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