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भारत ने फिर चीन को दी पटखनी, इस अहम इंडेक्स में हासिल किया शीर्ष स्थान

विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार, एमएससीआई ईएम आईएमआई में हुए इस बदलाव के बाद भारतीय इक्विटी में लगभग 4 से 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रवाह दिखाई दे सकता है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Sep 07, 2024 15:57 IST, Updated : Sep 07, 2024 15:57 IST
India Vs China - India TV Paisa
Photo:FILE भारत बनाम चीन

दुनिया में भारत का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं, चीन लगातार नीचे लुढ़कता जा रहा है। अब मॉर्गन स्टेनली ने घोषणा की है कि MSCI उभरते बाजार निवेश योग्य सूचकांक (इमर्जिंग मार्केट्स इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स, एमएससीआई ईएम आईएमआई) में भारत ने अपने वेटेड वैल्यू के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। भारत में अब बेटेज भार 22.27 प्रतिशत हो गया है, जो चीन के 21.58 प्रतिशत से अधिक है। MSCI IMI में 3,355 स्टॉक शामिल हैं, जिसमें बड़ी, मध्यम और छोटी कैप कंपनियां शामिल की जाती हैं। यह सूचकांक उभरते बाजारों वाले 24 देशों के स्टॉक को कवर करता है और प्रत्येक देश में निवेशकों के लिए उपलब्ध लगभग 85 प्रतिशत (फ्री फ्लोट एडजस्टेड) बाजार पूंजीकरण को कवर करने का लक्ष्य रखता है।

भारत में आएगा इतना बड़ा निवेश 

मुख्य MSCI ईएम सूचकांक (मानक सूचकांक) में बड़ी और मध्यम कैप कंपनियां शामिल होतीं हैं। वहीं आईएमआई को बड़ी, मध्यम और छोटी कैप स्टॉक के साथ अधिक व्यापक बनाया गया है। एमएससीआई आईएमआई में चीन के मुकाबले भारत का अधिक भार, छोटी-कैप की अधिक भारित क्षमता के कारण है। विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार, एमएससीआई ईएम आईएमआई में हुए इस बदलाव के बाद भारतीय इक्विटी में लगभग 4 से 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रवाह दिखाई दे सकता है। यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी सिद्धांतों और कॉरपोरेट्स के शानदार प्रदर्शन के कारण हुआ है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत 

इसके अलावा, भारतीय इक्विटी बाजार में लाभ का व्यापक आधार है, जो बड़े कैप के साथ-साथ मध्यम-कैप और छोटे-कैप सूचकांकों में भी दिखाई पड़ता है। साल 2024 की शुरुआत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि, कच्चे तेल की कीमतों में कमी और भारतीय ऋण बाजारों में पर्याप्त विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई), इस सकारात्मक रुझान में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में शामिल है। आर्थिक वृद्धि एवं विकास के लिए अपेक्षित निवेश की अपनी गति को बनाए रखने के लिए, भारत को घरेलू एवं विदेशी, दोनों स्रोतों से पूंजी की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, वैश्विक ईएम सूचकांकों में भारत के भार में वृद्धि का सकारात्मक महत्व है।

इनपुट: आईएएनएस

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