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F&O ट्रेडिंग में बदलाव: निफ्टी 50, बैंक निफ्टी समेत 4 इंडेक्स के लॉट साइज होंगे छोटे, ट्रेडर्स पर क्या होगा असर?

शेयर बाजार में F&O ट्रेडिंग करने वाले इन्वेस्टर्स के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) बड़ा बदलाव करने जा रही है। NSE ने Nifty 50, Nifty Bank, Nifty Financial Services और Nifty Mid Select इंडेक्स के लॉट साइज को घटाने का फैसला किया है।

Edited By: Shivendra Singh
Published : Oct 04, 2025 11:49 pm IST, Updated : Oct 04, 2025 11:49 pm IST
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Photo:CANVA F&O ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर्स के लिए NSE बड़ा बदलाव करने जा रहा है।

शेयर बाजार के ट्रेडर्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए लॉट साइज यानी न्यूनतम ट्रेडेबल शेयर की संख्या में बदलाव करने का ऐलान किया है। यह नया नियम 28 अक्टूबर 2025 से लागू होगा। इस कदम का उद्देश्य ट्रेडिंग को ज्यादा किफायती और व्यवस्थित बनाना है।

NSE के ऑफिशियल सर्कुलर के मुताबिक, Nifty 50 का लॉट साइज पहले 75 शेयर था, जिसे घटाकर 65 कर दिया जाएगा। वहीं, बैंक निफ्टी का लॉट साइज 35 से घटकर 30 होगा। निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज का लॉट 65 से 60 और निफ्टी मिड सेलेक्ट इंडेक्स का लॉट 140 से 120 कर दिया जाएगा। हालांकि, निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स के लॉट साइज में कोई बदलाव नहीं होगा।

मौजूदा लॉट में कब तक कर सकते हैं ट्रेडिंग?

ट्रेडर्स वर्तमान लॉट साइज के साथ 30 दिसंबर 2025 तक ट्रेड कर सकते हैं। उसके बाद सभी नए कॉन्ट्रैक्ट्स में नई, छोटी लॉट साइज लागू होगी। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने सदस्य ट्रेडर्स से कहा है कि वे अपने ग्राहकों को इस बदलाव की जानकारी दें, ताकि कोई अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न न हो।

क्यों हो रहा बदलाव?

इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू को एक मानक रेंज में लाना और ट्रेडिंग को ज्यादा व्यापक इन्वेस्टर्स के लिए सुलभ बनाना है। चूंकि डेरिवेटिव्स लीवरेज्ड इंस्ट्रूमेंट्स होते हैं, इसलिए ट्रेडर्स को कॉन्ट्रैक्ट की पूरी कीमत एडवांस में नहीं चुकानी पड़ती, लेकिन लॉट साइज उनके एक्सपोजर और मार्जिन आवश्यकताओं को निर्धारित करता है।

एक्सपर्ट का क्या कहना?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, लॉट साइज में कमी से छोटे इन्वेस्टर भी F&O ट्रेडिंग में आसानी से हिस्सा ले पाएंगे। इससे मार्केट में तरलता बढ़ेगी और कॉन्ट्रैक्ट्स ज्यादा स्वीकार्य होंगे। वहीं, बड़े इन्वेस्टर्स को अब थोड़ी ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होगी, क्योंकि छोटे लॉट साइज का मतलब है कि उनकी पोर्टफोलियो में हिसाब-किताब बदल सकता है।

Disclaimer: यह न्यूज सिर्फ जानकारी के लिए है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।

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