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SEBI ने स्टॉक मार्केट निवेशकों के हित में उठाया बड़ा कदम, अब शेयर ब्रोकर नहीं कर पाएंगे यह हेराफेरी

इस प्रक्रिया से ग्राहकों की राशि का दुरूपयोग नहीं हो पाएगा। साथ ही ब्रोकर ग्राहकों का पैसा लौटाने में चूक नहीं कर पाएंगे।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: June 26, 2023 20:41 IST
स्टॉक मार्केट निवेशक- India TV Paisa
Photo:FILE स्टॉक मार्केट निवेशक

पूंजी बाजार नियामक (SEBI) ने शेयर बाजार निवेशकों के हित में बड़ा कदम अठाया है। मिली जानकारी के मुताबिक, सेबी ने निवेशकों के पैसे को दुरूपयोग तथा शेयर ब्रोकरों के चूक की स्थिति से बचाने के लिये सोमवार को कदम उठाते हुए प्रतिभूति बाजार में कारोबार को लेकर वैकल्पिक प्रक्रिया पेश की। नई व्यवस्था में कारोबारी सदस्य को रकम अंतरित करने के बजाय निवेशकों का पैसा उनके अपने ही बैंक खातों में ‘ब्लॉक’ रखने का प्रावधान होगा। यह व्यवस्था प्राथमिक बाजार (आईपीओ खरीद-बिक्री बाजार) में मौजूदा ‘आवेदन आधारित राशि ब्लॉक’(असबा) की सुविधा जैसी होगी। इसमें निवेशकों का पैसा खाते से तभी निकलता है, जब शेयर का आवंटन हो जाता है। 

1 जनवरी, 2024 से प्रभाव में आएगी।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि नई व्यवस्था 1 जनवरी, 2024 से प्रभाव में आएगी। इस व्यवस्था के तहत कोष ग्राहक के खाते में ही रहेगा लेकिन समाशोधन निगम के पक्ष में ‘ब्लॉक’ होगा। राशि तय समय या समाशोधन निगम की तरफ से जारी किए जाने तक ‘ब्लॉक’ रहेगी। सेबी के अनुसार कोष और प्रतिभूतियों का निपटान समाशोधन निगम करेगा। इसके लिये सदस्य द्वारा ग्राहकों के कोष और प्रतिभूतियों के रखरखाव की जरूरत नहीं होगी। इस प्रक्रिया से ग्राहकों की राशि का दुरूपयोग नहीं हो पाएगा। साथ ही ब्रोकर ग्राहकों का पैसा लौटाने में चूक नहीं कर पाएंगे। कुल मिलाकर पूंजी को लेकर जोखिम नहीं रहेगा। जो ग्राहक एकमुश्त राशि को ब्लॉक करते हैं, उनके लिये विभिन्न निपटान दायित्वों के लिये कई बार डेबिट किया जा सकता है। 

इक्विटी सेगमेंट में सबसे पहले शुरू होगा 

इस व्यवस्था की शुरूआत इक्विटी नकद खंड में होगी। समाशोधन निगम यह सुविधा बाद में दूसरे क्षेत्रों को भी दे सकता है। सेबी ने कहा कि यह सुविधा निवेशकों के साथ-साथ शेयर ब्रोकरों के लिये वैकल्पिक है। चूंकि निवेशकों को विभिन्न शेयर ब्रोकरों के पास ‘ट्रेडिंग’ खाते रखने की अनुमति है, ऐसे में निवेशक कुछ ब्रोकरों के साथ यूपीआई आधारित ‘ब्लॉक’ सुविधा का चयन कर सकता है, जबकि अन्य के साथ दूसरी व्यवस्था अपना सकता है। इससे सदस्यों के लिये कार्यशील पूंजी की जरूरत कम पड़ेगी। 

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