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Stock Market: इंट्राडे ट्रेडिंग की ये तगड़ी स्ट्रैटेजी दिला सकती है मोटा रिटर्न, बनेगा पैसे से पैसा

इंट्राडे ट्रेडिंग में अगर सही स्ट्रैटेजी और सही जानकारी हो तो आप स्टॉक पर हाई रिटर्न भी कमा सकते हैं। जानकारों का मानना है कि जब आप उन स्टॉक्स की पहचान ट्रेडिंग के लिए करते हैं तो संबंधित कंपनियों पर रिसर्च जरूर करें।

Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Mar 11, 2024 8:20 IST, Updated : Mar 11, 2024 8:20 IST
आपको सिर्फ एक स्टॉक के साथ इंट्राडे ट्रेडिंग से बचना चाहिए।- India TV Paisa
Photo:FREEPIK आपको सिर्फ एक स्टॉक के साथ इंट्राडे ट्रेडिंग से बचना चाहिए।

शेयर मार्केट में जब आप एक इंट्राडे ट्रेडर होते हैं चाहे अनुभवी हों या बिल्कुल नए, आप अनिश्चितता का अनुभव जरूर करते हैं। यह अनुभव निवेशकों को नहीं होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में पूरा ट्रांजैक्शन उसी दिन करना होता है। ऐसे में आप रिस्क के मामले में कापी अलर्ट रहते हैं। लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में अगर सही स्ट्रैटेजी और सही जानकारी हो तो आप स्टॉक पर हाई रिटर्न भी कमा सकते हैं। इसके लिए प्रैक्टिस के साथ समझ डेवलप करने की जरूरत है। शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग की अगर स्ट्रैटेजी तगड़ी हो तो ज्यादा रिटर्न और कम से कम नुकसान काफी हद तक सुनिश्चित किया जा सकता है। आइए, यहां हम ऐसी ही बातों पर गौर करते हैं।

लिक्विड स्टॉक का चुनाव

इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ही दिन स्टॉक खरीदना और बेचना होता है। ऐसे में मार्केट में बहुत अधिक लिक्विडिटी (तरलता) की जरूरत होती है। एचडीएफसी बैंक के मुताबिक, किसी भी इंट्राडे ट्रेडर को एक खास बात पर यह गौर करना चाहिए कि वह लार्ज-कैप शेयरों में ट्रेड करना और स्मॉल-कैप या मिड-कैप शेयरों से बचें। आपको सिर्फ एक स्टॉक के साथ इंट्राडे ट्रेडिंग से बचना चाहिए और कुछ शेयरों में अपनी स्थिति में विविधता लाने का लक्ष्य रखना चाहिए। इससे आपको एक संतुलित इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी हासिल करने और जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

खरीदार के झांसे में न आएं

इंट्राडे ट्रेडिंग में कई ट्रेडर खरीदार के झांसे में आ जाते हैं, जिसके चलते वे स्टॉक खरीदने के तुरंत बाद अपने चुनाव पर शक करने लगते हैं। उनको लगता है कि उन्होंने सही स्टॉक का चुनाव नहीं किया है। ऐसे में वह जल्दबाजी में और गलत फैसले ले लेते हैं। ट्रांजैक्शन शुरू करने से पहले एंट्री और एग्जिट प्राइस तय करके आप एक ट्रेडर के तौर पर इस भ्रम में पड़ने से बच सकते हैं। पहले से तय यह कीमतें आपको अनावश्यक संदेह को दूर रखने की अनुमति देती हैं।

स्टॉप-लॉस लेवल तय करें

जब आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर रहे होते हैं, तो आपके द्वारा चुना गया स्टॉक बढ़ने के बजाय गिर सकता है। ऐसे में एक सवाल उठता है कि आखिर स्टॉक बेचने से पहले आप कीमत को कितना कम होने देंगे। ऐसी कीमत पर फैसला लेना जिसे आप स्क्वायर-ऑफ़ स्थिति के रूप में मानते हैं, को जरूर ध्यान में रखें। इंट्राडे ट्रेडिंग की यह स्ट्रैटेजी आपके नुकसान को कम करने में मदद कर सकती है और सेफ्टी नेट के रूप में काम करती है। जो ट्रेडर नए हैं उनके लिए 3:1 रेशियो अच्छी तरह से काम करती है। इस स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल करके, आप अपना स्टॉप-लॉस उस कीमत से तीन गुना कम कीमत पर सेट कर सकते हैं जिस पर आपने लाभ बुक करने के लिए बंद किया होगा।

टारगेट पूरा होने पर प्रॉफिट बुकिंग

इंट्राडे ट्रेडिंग से मिलने वाला फायदा और मार्जिन ही इस प्रैक्टिस को ट्रेडर्स के लिए आकर्षक बनाता है। इंट्राडे ट्रेडिंग के साथ, आपके पास हाई रिटर्न हासिल करने की क्षमता है। हालांकि, यह याद रखना जरूरी है कि आपको प्रॉफिट बुक करते समय लेनदेन से बाहर निकलना होगा और लालच नहीं करना होगा। जब तक आपके पास यह मानने का अच्छा कारण न हो कि शेयर की कीमत ऊपर चढ़ जाएगी, तो अपना लक्ष्य पूरा करने के बाद बाहर निकल जाना बेहतर है।

ओपन पोजिशन बंद करें

इंट्राडे ट्रेडिंग में यह सबसे अच्छी स्ट्रैटेजी में से एक है अपने सभी ओपन पोजिशन को बंद करना। यानी अपने लेनदेन को पूरा करना। ऐसा देखा जाता है कि जब स्टॉक निर्धारित लक्ष्य मूल्य देने में विफल होते हैं, तो ट्रेडर्स शेयरों की डिलीवरी का ऑप्शन चुनते हैं। लेन-देन अगले दिन होता है, इस उम्मीद में कि वह टारगेट तक पहुंच जाएगा। एचडीएफसी बैंक के मुताबिक, ट्रेडिंग प्रैक्टिस के प्रकार में बदलाव करना एक समझदारी भरा कदम नहीं हो सकता है। चूंकि आपने इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए चुने गए स्टॉक खरीदे हैं, इसलिए हो सकता है कि वे डिलीवरी ट्रेडिंग के जरिये मनचाहा रिजल्ट न दें। इसलिए, स्टॉक की ताकत देखें और उसके बाद ही लंबी अवधि के निवेश का विकल्प चुनें।

बाजार को न करें चैलेंज

स्टॉक मार्केट में आगे क्या होगा, इसकी भविष्यवाणी करना एक कठिन काम है। आप हमेशा अपने बाजार विश्लेषण के आधार पर इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी के संबंध में फैसला लेंगे जिसे आप अपनाना चाहते हैं। हालांकि, जब आप ट्रेडिंग शुरू करते हैं, तो मार्केट विपरीत दिशा में जा सकता है। आपको ऐसे परिदृश्यों के दौरान बाजार को चुनौती देने और अपने विश्लेषण पर केंद्रित होने से बचना याद रखना चाहिए। एक बेहतर विकल्प यह है कि जैसे ही आपका स्टॉक स्टॉप-लॉस स्तर पर पहुंच जाए, उसे बेच दें।

काफी रिसर्च करें

जब आप उन स्टॉक्स की पहचान ट्रेडिंग के लिए करते हैं तो संबंधित कंपनियों पर रिसर्च जरूर करें। कंपनी के बारे में पढ़ने से आपको यह समझने में मदद मिल सकती है कि बाज़ार की स्थितियां स्टॉक को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। आपको मर्जर, अधिग्रहण, डिविडेंड भुगतान आदि की भी जांच करनी चाहिए। ये घटनाएं आपको अपडेट रख सकती हैं और आपकी टाइमिंग को ठीक करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा, अपने इंट्राडे ट्रेडिंग लेनदेन को सही समय पर करना बेहद मायने रखता है। कई ट्रेडर्स सलाह देते हैं कि आपको ट्रेडिंग शुरू होने के बाद पहले घंटे के भीतर कोई पोजीशन लेने से बचना चाहिए। यह समय बहुत अस्थिर माना जाता है, और इस प्रकार, कई ट्रेडर्स दोपहर के बाद पोजीशन लेते हैं।

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