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Income Tax Return फाइल करते समय रखें इन 4 बातों का रखें विशेष ख्याल

Here are the 4 mistakes which people commit while Income tax return filing.

Surbhi Jain Surbhi Jain
Updated on: July 06, 2016 18:46 IST
नई दिल्ली। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय सामान्यत: टैक्स पेयर्स के कुछ गलतियां हो जाती हैं, इन छोटी गलतियों के कारण इनकम टैक्सपेयर को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार इन गलतियों के कारण डिपार्टमेंट की ओर से इनकम टैक्स रिटर्न को रद्द भी कर दिया जाता है। टैक्स रिटर्न फाइल करने की तारीख अब नजदीक हैं तो ऐसे में जरूरत है कि हम उन छोटी छोटी गलतियों के प्रति सचेत हो जाएं जिनके कारण बाद में बड़ी माथापच्ची करनी पड़ती है।

www.indiatvpaisa.com की टीम अपनी इस स्टोरी में ऐसी 4 गलतियों के बारे में आपको बता रही है जिनपर रिटर्न फाइल करते समय आपको विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

1. सही फार्म का करें चयन

सबसे बड़ी गलती लोग कई बार गलती से गलत फॉर्म का चयन कर लेते हैं। आईटीआर के लिए कुल सात फॉर्म होते हैं। इसमें से उस फॉर्म का चयन करें जो आपकी आय के स्रोत का विवरण देने के अनुरूप हो। नौकरीपेशा लोगों के लिए आईटीआर1 और आईटीआर2 दोनों फॉर्म्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन आईटीआर1 केवल एक ही हाउस प्रॉपर्टी से आय के स्रोत को मानती है, जबकि आईटीआर2 एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी से आय को शामिल करती है।

2. निजी जानकारी में न हो कोई चूक
कई बार इनकम टैक्स फाइल करते समय टैक्सपेयर से अपनी निजी जानकारी भरने में गलती हो जाती है। लोग अक्सर पैन कार्ड का नंबर, स्थायी पता और बैंक जानकारी गलत दे देते हैं। रिटर्न फाइल करने से पहले जरूर जांच लें। अपना नाम, डेट ऑफ बर्थ आदि सभी जानकारियां ठीक प्रकार से भरी हैं कि नहीं। टैक्सपेयर कई बार गलती से गलत आईएफएससी कोड (IFSC) या बैंक एकाउंट नंबर डाल देते हैं। इससे रिफंड प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि रिफंड की राशि इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम के माध्यम से की जाती है।

3. सभी स्रोत से होनी वाली आय का दें विवरण
नौकरीपेशा लोगों के लिए फॉर्म 16 जरूरी होता है। एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि ब्याज या कैपिटल गेन से होने वाली आय का विवरण फॉर्म 16 में नहीं होता, लेकिन फिर भी इसको स्पष्ट करना जरूरी है। Taxplanner.com के सह संस्थापक और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर सुधीर कौशिक के मुताबिक टैक्स डिपार्टमेंट आपकी कर योग्य और कर छूट के दायरे में आने वाली सभी आय के स्रोत में बारे जानकारी मांगता है। अधिकांश लोग कर छूट के दायरे में आने वाली आय या फिर जिसपर वह पहले से टैक्स अदा कर चुके हैं उसे स्पष्ट नहीं करते हैं जैसे कि फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सेविंग एकाउंट पर मिलने वाला ब्याज एकाउंट में 10 हजार रुपए तक मिलने वाला ब्याज कर छूट के दायरे में आता है, लेकिन तब भी रिपोर्ट करने बाद ही छूट के लिए क्लेम किया जा सकता है। किस स्रोत से हुई आय पर टैक्स भुगतान करना है यह जानने के लिए फॉर्म 26एएस को पढ़ें।

4. अपनी रिटर्न को ई-वेरिफाइ करना न भूलें
टैक्स फाइलिंग की प्रक्रिया तब ही पूरी होती है जब उसे वेरिफाइ कर दिया जाता है। रिटर्न सब्मिट करने के बाद रजिस्टर्ड ई-मेल आईडी पर आईटीआर V यानि कि एक्नॉलिजमेंट मिलता है जिसे आपको वेरिफाई करना होता है। इसे पूरा करने के लिए सबसे सरल तरीका यह है कि इसका प्रिंट आउट लें, साइन करें और फिर बैंगलुरु के टैक्स डिपार्टमेंट के सेंटर के पते पर भेज दें। रिटर्न फाइल करने के 120 दिनों के भीतर सामान्य पोस्ट या फिर स्पीड पोस्ट के जरिए भेज सकते हैं।

अपने टैक्स रिटर्न को ऑनलाइन जांचने के लिए डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन अधिकांश लोगों के पास डिजिटल सिग्नेचर नहीं होते इसलिए ई-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया इंटरनेट बैंकिंग या फिर आधार नंबर से की जा सकती है। ऐसा करने के बाद आईटीआर V भेजने की जरूरत नहीं होती है।

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