Friday, December 13, 2024
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रेस्टोरेंट या शॉपिंग के बिल पर न खाएं धोखा, आसान शब्दों में समझें GST से जुड़े ये 10 टर्म्स

जीएसटी का कानून बने छह साल पूरे होने वाले हैं। लेकिन अभी तक ज्यादातर लोगों के जीएसटी के नियमों की विस्तृत जानकारी नहीं है। आइए आज आपको इसके 10 प्रमुख टर्म्स बिल्कुल आसान भाषा में समझाते हैं।

Edited By: India TV Paisa Desk
Published : Feb 09, 2023 21:45 IST, Updated : Feb 09, 2023 23:59 IST
GST Terms in very simple words- India TV Paisa
Photo:CANVA GST से जुड़े 10 प्रमुख टर्म्स, आसान शब्दों में समझें

भारत सरकार ने 1 जुलाई 2017 को देश में GST को लागू किया था। अब इसे छह साल पूरे होने वाले हैं। इसके बावजूद आज भी बहुत से लोगों को GST की विस्तृत जानकारी नहीं है। GST एक अप्रत्यक्ष टैक्स है जो उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है। पहले कारोबारियों को सर्विस टैक्स, सेल्स टैक्स, कस्टम ड्यूटी, सरचार्ज और एक्साइज ड्यूटी जैसे अलग-अलग तरह के टैक्स भरने पड़ते थे। ऐसे में सरकार ने टैक्स प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए GST को लागू किया था। आइए आज आपको GST की कुछ इंटरनल और इम्पॉर्टेंट टर्म्स के बारे में बताते हैं।

GST- GST का मतलब होता है गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स। यह टैक्स ग्राहकों या कारोबारियों को वस्तुओं की खरीदारी करने या सेवाओं के उपभोग करने पर चुकाना पड़ता है। इसे एक्साइज ड्यूटी, वैट टैक्स, सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स आदि अलग-अलग तरह के टैक्स की जगह लागू किया गया था।

GSTIN- GSTIN का अर्थ है गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर। यह 15 अंकों का एक ऐसा डिजिट है जिसमें हमारा पैन नंबर भी जुड़ा होता है। इसे आप GST अकाउंट नंबर भी कह सकते हैं। GST नंबर के जरिए ही टैक्स संबंधी लेन-देन और रिटर्न फाइल किया जाता है।

CGST- CGST का मतलब है सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स। इसका संबंध अंतर्राज्यीय लेन-देन से है। जब किसी वस्तु  या सेवा की आपूर्ति राज्य के भीतर की जाती है तो इस स्थिति में केंद्र सरकार को दिया जाने वाला टैक्स CGST कहलाता है।

SGST- SGST का अर्थ होता है स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स। जब किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति राज्य के भीतर की जाती है तो इस स्थिति में राज्य सरकार को दिया जाना वाला टैक्स SGST कहलाता है।

IGST- IGST का फुल फॉर्म होता है इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स। जब दो राज्यों के बीच व्यापारी या कारोबारी किसी वस्तु या सेवा को लेकर कोई डील करते हैं तो इसे इंटिग्रेटेड यानी एकीकृत गुड्स एंड सर्विस टैक्स कहा जाता है। इसे आप CGST और SGST का जोड़ कह सकते हैं। यह टैक्स व्यापारी को सिर्फ केंद्र सरकार को देना पड़ता है।

Reverse Charge- रिवर्स चार्ज टैक्स प्रक्रिया का एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें वस्तु या सेवाओं की खरीदारी करने वाला ही टैक्स वसूलता है और सरकार के पास जमा करवाता है। चूंकि इसमें वस्तु या सेवाओं के टैक्स को वसूलने की जिम्मेदारी सेलर की बजाय परचेजर को दी गई है, इसलिए इसे रिवर्स चार्ज कहा जाता है।

Mixed Supply- दो या दो से ज्यादा वस्तुओं और सेवाओं की एक निश्चित कीमत पर बिक्री मिक्स्ड सप्लाई कहलाती है। उदाहरण के लिए अगर किसी ने व्यापारी ने 4 लाख रुपये में फ्रिज, टीवी, एसी और सोफा सेट सेल किया है तो ऐसी बिक्री पर मिक्स्ड सप्लाई के दायरे में आती हैं। मिक्स्ड सप्लाई में टैक्स की दर तय करने के लिए उस वस्तु को देखा जाता है, जिस पर अधिकतम टैक्स लागू होता है।

Composite Supply- कंपोजिट सप्लाई यानी एक वस्तु की बिक्री के संग अन्य वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री इस प्रकार की जाए कि मुख्य वस्तु के साथ अन्य वस्तुओं और सेवाओं का विक्रय स्वभाविक रूप से जुड़ा हो। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यापारी इनेक्ट्रिक सामान के लिए उसकी पैकिंग और ट्रांसपोर्ट की सेवा भी दे तो इसे कम्पोजिट सप्लाई कहा जाता है।

Continuous Supply- कन्टीन्यू सप्लाई का मतलब है कि एक तय अनुबंध के तहत निश्चित अवधि के अंदर किसी वस्तु या सेवा को उपलब्ध करवाना। इसमें वायर, केबल या पाइपलाइन के जरिए दी जाने वाली सुविधाएं भी शामिल होती हैं। ऐसी वस्तु या सेवाओं का सप्लायर रेगुलर या एक निश्चित अवधि पर बिल जारी करता है।

ITC- ITC का मतलब होता है इम्पुट टैक्स क्रेडिट। इस स्थिति में ग्राहक को भूतकाल में चुकाए किसी जीएसटी के बदले क्रेडिट मिल जाता है। बाद में ग्राहक किसी अन्य जीएसटी को चुकाने के लिए पैसों की बजाए इन क्रेडिट्स का इस्तेमाल कर सकता है।

GSTR- GSTR का मतलब है कि गुड्स एंड सर्विस टैक्स रिटर्न। यह एक सरकारी फॉर्म है, जिसे GST कानून के तहत रजिस्टर्ड प्रत्येक टैक्स पेयर को प्रत्येक जीएसटी नंबर के लिए भरना अनिवार्य है। इसमें कुल 22 तरह के GST रिटर्न का प्रावधान किया गया है।

GST Compliance- GST कम्पलाएंस रेटिंग किसी व्यवसाय को सरकार द्वारा दिए जाने वाला स्कोर है। ताकि अन्य व्यवसाय यह देख पाएं कि वे टैक्स डिपार्टमेंट के नियमों का कितना पालन कर रहे हैं। यह स्कोर मासिक और वार्षिक रिटर्न को समय पर दाखिल करने, उपयोग किए गए इनपुट क्रेडिट का विवरण प्रस्तुत करना, करों के भुगतान जैसे मापदंडों पर तय होता है।

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