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Pre-Payment: होम लोन की EMI से पाना चाहतें हैं छुटकारा, प्रीपेमेंट से पहले इन फायदे और नुकसान पर जरूर डालें नजर

अक्‍सर हम सोचते हैं कि होम लोन का प्रीपेमेंट कर कर्ज के इस जंजाल से बाहर निकल आएं। लेकिन कई बार ऐसा करना भी हमारे लिए भारी पड़ जाता है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Published on: January 25, 2016 7:36 IST
Pre-Payment: होम लोन की EMI से पाना चाहतें हैं छुटकारा, प्रीपेमेंट से पहले इन फायदे और नुकसान पर जरूर डालें नजर- India TV Paisa
Pre-Payment: होम लोन की EMI से पाना चाहतें हैं छुटकारा, प्रीपेमेंट से पहले इन फायदे और नुकसान पर जरूर डालें नजर

नई दिल्‍ली। घर खरीदते वक्‍त हमें बिल्‍डर से चाबी तो पजेशन के वक्‍त ही मिल जाती है। लेकिन घर वास्‍तव में हमारा तभी बनता है जब हम बैंक को  होम लोन की पूरी किश्‍तें चुका कर लोन के पूरे अमाउंट की भरपाई कर देते हैं। हम 25 से 30 साल तक का समय लगता है। ब्याज दरों से ईएमआई के बढ़ते बोझ को प्री-पेमेंट से कुछ कम किया जा सकता है। अक्‍सर हम सोचते हैं कि प्रीपेमेंट कर कर्ज के इस जंजाल से बाहर निकल आएं। लेकिन कई बार ऐसा करना भी हमारे लिए भारी पड़ जाता है। बैंक इसके लिए प्री पेमेंट चार्ज लेते हैं, साथ ही हमें इनकम टैक्‍स में छूट मिल रही होती है, वह भी समाप्‍त हो जाती है। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज आपको बताने जा रही है लोन के प्रीपेंट से जुड़े फायदे नुकसान के बारे में, जो आपके लिए जानना जरूरी है।

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प्री-पेमेंट से पहले जांच लीजिए बैंकों के चार्ज

मकान पर कर्ज की अवधि समाप्त होने से पहले आप जब कभी अपने होम लोन का प्री पेमेंट करना चाहते हैं तो बैंक आम तौर पर बकाया राशि पर प्री-पेमेंट पेनाल्टी लेता है। हालांकि, प्री-पेमेंट पेनाल्टी विभिन्न कर्जदाता बैंक अलग-अलग लेते हैं लेकिन यह सामान्यतया दो प्रतिशत होता है। वहीं कुछ बैंक ऐसे भी हैं जो प्री-पेमेंट पेनाल्टी नहीं लेते। जैसे भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक आदि ने भी फ्लोटिंग रेट के लिए प्री-पेमेंट पेनाल्टी समाप्त कर दी है।

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आंशिक प्रीपेमेंट पर भी कर सकते है विचार

अगर आपको लोन की ईएमआई का बोझ ज्‍यादा लग रहा है तो आप होम लोन के एक हिस्से का प्री-पेमेंट कर सकते हैं। कर्जदाता आम तौर पर उस स्थिति में पार्शियल प्रीपेमेंट पर कोई पेनाल्टी या शुल्क नहीं लेते जब प्री-पेमेंट की राशि उस साल की शुरुआत में बकाया राशि के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं हो। इसलिए, अगर आप लोन के एक हिस्से का प्री-पेमेंट करते हैं जो 25 प्रतिशत की सीमा में होता है तो इस प्रकार आप अपनी मासिक किस्तों का बोझ कम कर सकते हैं। लेकिन ध्‍यान रखें यह बैंक के नियम के मुताबिक है, इसलिए बैंक या फाइनेंशियल इंस्‍टीट्यूशन की नियम और शर्तें जरूर पढ़ लें।

खो सकते हैं इनकम टैक्‍स छूट का लाभ

होम लोन के ब्याज के भुगतान पर आपको आयकर में लाभ होता है इसलिए प्री-पेमेंट किया जाना चाहिए या नहीं और कितनी राशि का यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपको आयकर में कितना लाभ हो रहा है। क्योंकि प्री-पेमेंट से आपके यह लाभ घट सकते हैं। अगर प्रॉपर्टी का इस्तेमाल आप कर रहे हैं और सालाना ब्याज का भुगतान 1.5 लाख रुपए से अधिक का किया जा रहा है तो लोन के भुगतान से अगर ब्याज का कुल सालाना भुगतान 1.5 लाख रुपये से कम नहीं आता है तो फिर टैक्स के देनदारी पर कोई असर नहीं होगा। हालांकि अगर प्रॉपर्टी किराए पर दी गई है तो कुल ब्याज भुगतान टैक्स डिडक्टेबल होता है, इसलिए प्री-पेमेंट का निर्णय इस मामले में थोड़ा अलग हो सकता है।

लिक्विडिटी व आपातकालीन जरूरतें

होम लोन की राशि के आंशिक या पूर्ण पुनर्भुगतान का निर्णय इस बात पर भी निर्भर करता कि निकट भविष्य के वित्तीय लक्ष्य क्या हैं। आपको होम लोन के प्री-पेमेंट से पहले इमरजेंसी फंड की व्यवस्था भी कर लेनी चाहिए। इसलिए कब और कितनी राशि का प्री-पेमेंट किया जाए यह उपरोक्त मामलों पर भी निर्णय करता है क्योंकि होम लोन अन्य कर्जों की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ता होता है। पर्सनल लोन और गोल्ड लोन तो 18-24 प्रतिशत के दायरे में होते हैं। अगर आपको भविष्य में पैसों की जरूरत होती है और आपको पर्सनल लोन लेना पड़ता है तो होम लोन के कम ब्याज का फायदा जाता रहता है।

निवेश के अन्य उपलब्ध विकल्प

लोन के प्री-पेमेंट के विकल्प पर विचार करने के साथ ही आपको यह भी देखना चाहिए कि आप अपने अतिरिक्त फंड का निवेश और कहां कर सकते हैं जहां आपको बेहतर रिटर्न मिल सके। अगर निवेश के विकल्प पर मिलने वाला रिटर्न होम लोन की ब्याज दरों के बराबर है तो लोन का प्री-पेमेंट करना ज्यादा अच्छा रहेगा। इस प्रकार कई ऐसे कारक हैं जिन पर प्री-पेमेंट का निर्णय लेने से पहले विचार करने की जरूरत होती है। अंतत: निर्णय लेना आपके अपने हाथों में होता है।

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