
बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख कर दिया गया है। वहीं, नौकरीपेशा वर्ग के लिए यह सीमा स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ 12.75 लाख कर दी गई है। सरकार की ओर से यह राहत ईमानदार टैक्सपेयर्स को दी गई है। हालांकि, टैक्स चोरी करने वाले टैक्सपेयर्स पर सरकार की टेढ़ी नजर है। सरकार की तैयारी 1 अप्रैल से लागू हो रहे नए फाइनेंशियल ईयर में टैक्स चोरी करने वाले टैक्सपेयर्स पर सख्ती बढ़ाने की है। इसके लिए नए आयकर कानून में भी आयकर विभाग को सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल, बैंक अकाउंट, ऑनलाइन निवेश अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और अन्य चीजों को खंगालने का अधिकार दिया गया है। आयकर विभाग को टैक्सपेयर्स की जांच के लिए उनके निजी अकाउंट को जांचने का अधिकार दिया गया है। हालांकि, इस कदम से ईमानदर टैक्सपेयर्स को घबराने की जरूरत नहीं है।
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत अधिकार
आपको बता दें कि वर्तमान में इनकम टैक्स अधिकारी को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत टैक्सपेयर्स की निजी जानकारी जांच करने का अधिकार मिलता है। सरकार ने इस अधिकार को न्यू इनकम टैक्स रिजीम में भी कोई बदलाव नहीं किया है। यानी टैक्स चोरी का शक होने पर आयकर अधिकारी टैक्सपेयर्स की निजी जानकारी जांच पाएंगे। वर्तमान कानून के तहत अगर किसी लॉकर की चाबियां उपलब्ध न हों और उन्हें संदेह हो कि वहां कोई अघोषित संपत्ति या खाता बही रखी गई है, तो वे किसी भी दरवाजे, बक्से या लॉकर का ताला तोड़ सकते हैं।
क्या क्या जांच कर सकते हैं अधिकारी
- ईमेल
- (सोशल मीडिया अकाउंट
- ऑनलाइन निवेश खाता, ट्रेडिंग खाता, बैंकिंग खाता, आदि
- किसी भी संपत्ति के स्वामित्व का पेपर
- रिमोट सर्वर या क्लाउड सर्वर
- डिजिटल एप्लिकेशन प्लेटफ़ॉर्म
- लॉकर आदि
एक्सपर्ट का कहना है कि सकरार एक ओर ईमानदार टैक्सपेयर्स को राहत दे रही है। वहीं, टैक्स चोरी करने वाले टैक्सपेयर्स पर सख्ती बढ़ा रही है। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में टैक्स चोरी करने वाले टैक्सपेयर्स की खैर नहीं रहने वाली है।